रघुवर दास की भाजपा में वापसी..

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय राजनीति में लौट आए हैं। 10 जनवरी, 2025 को रघुवर दास औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो गए हैं। झारखंड की राजनीति में उनकी यह वापसी कई मायनों में अहम मानी जा रही है।

ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा
हाल ही में रघुवर दास ने ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद से ही यह अटकलें लग रही रही थीं कि वे झारखंड की राजनीति में फिर से सक्रिय भूमिका निभाएंगे। दास, जो झारखंड के इतिहास में लगातार पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं, अब राज्य में बीजेपी का नेतृत्व संभाल सकते हैं।

भव्य स्वागत और कार्यकर्ताओं का उत्साह
26 दिसंबर, 2024 को रांची एयरपोर्ट पर लौटने के दौरान रघुवर दास का बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया। बैंड-बाजे और नारों के साथ कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार अभिनंदन किया। पार्टी के लिए उनकी वापसी को झारखंड में संगठन को मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है।

बीजेपी में नई भूमिका
रघुवर दास की वापसी के साथ बीजेपी झारखंड में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी आलाकमान ने दास को झारखंड बीजेपी की कमान सौंपने का मन बनाया है।वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेतृत्व कर रहे हैं।

झारखंड में बीजेपी को युवा कार्यकर्ताओं की कमी और मजबूत विपक्षी गठबंधन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद, पार्टी को अब संगठन को पुनर्गठित और मजबूत करने की जरूरत है। दास ने अपनी भूमिका को लेकर कहा, “राजनीति में मेरी भूमिका क्या होगी, यह बीजेपी तय करेगी। मुझे जो भी दायित्व मिलेगा, मैं उसे समर्पण के साथ निभाऊंगा।“

रघुवर दास की वापसी से कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उत्साह का माहौल है। झारखंड के राजनीतिक गलियारों में इसे पार्टी के संगठन को पुनर्जीवित करने और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए जमीन तैयार करने के तौर पर देखा जा रहा है।

झारखंड में बीजेपी की नई जिम्मेदारी संभालने वाले रघुवर दास के सामने पार्टी को पुनर्गठित करने और मजबूत विपक्ष के सामने टिकने की बड़ी चुनौती है। उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता से पार्टी को नए सिरे से संगठित करने में मदद मिलेगी। अब देखना यह है कि उनकी वापसी से झारखंड की राजनीति में क्या बदलाव आ रहे हैं।

 

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