झारखंड में एचएमपीवी के मामलों पर नज़र, सिविल सर्जनों को सैंपल जांच के निर्देश……

देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मरीजों की पुष्टि होने के बाद झारखंड में भी इसकी निगरानी तेज कर दी गई है. राज्य सरकार ने वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने और संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग को गंभीर कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने मंगलवार को सभी सिविल सर्जनों को एक पत्र लिखकर एहतियाती उपायों को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. पत्र में कहा गया है कि श्वसन रोगों के संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग सुनिश्चित की जाए और एचएमपीवी के संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेकर रिम्स और एमजीएम जमशेदपुर के वायरस रिसर्च और डायग्नोस्टिक लैब (वीआरडीएल) में जांच के लिए भेजे जाएं. इसके साथ ही, अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि बुधवार से सैंपल लेना शुरू किया जाए. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी सिविल सर्जनों से बात की, जिसमें रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार, अधीक्षक डॉ. हीरेंद्र बिरुआ, माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. मनोज कुमार और राज्य आईडीएसपी के डॉ. प्रवीण कर्ण भी मौजूद थे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि रिम्स में आइसोलेशन वार्ड तैयार कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस की जांच के लिए रिम्स ने जेम पोर्टल पर ऑर्डर भी दिए हैं, और बुधवार तक जांच किट मिलने की संभावना है.

एचएमपीवी जांच प्रक्रिया

एचएमपीवी वायरस के संदिग्ध मरीजों की जांच कोरोना के मरीजों की तर्ज पर की जाएगी. इस संदर्भ में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि वायरस संक्रमण की जांच आरटीपीसीआर से की जाएगी. संदिग्ध मरीजों के सैंपल गले और नाक से लिए जाएंगे और उन्हें रिम्स और एमजीएम जमशेदपुर भेजा जाएगा. यदि सैंपल पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो म्यूटेंट की जांच के लिए इसे पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) भेजा जाएगा.

ऑक्सीजन, दवाओं और बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करें

अपर मुख्य सचिव ने सभी सिविल सर्जनों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों के अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें. इसके साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एचएमपीवी संक्रमण से बचाव के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाए. उन्होंने कहा कि यह वायरस नया नहीं है, बल्कि सर्दी के मौसम में इस तरह के मामले पहले भी देखे गए हैं. इसलिए, इस वायरस से घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचने की सलाह दी गई है.

स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण और जन जागरूकता

अपर मुख्य सचिव ने सभी स्वास्थ्य संस्थानों में इंफेक्शन कंट्रोल प्रैक्टिस की सघन निगरानी करने और स्वास्थ्य कर्मियों को एचएमपीवी के बारे में प्रशिक्षित करने के निर्देश दिए. इसके अलावा, उन्होंने आम जनता को वायरस से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करने की भी बात कही. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सभी सिविल सर्जनों को यह भी निर्देश दिए गए कि वे सर्दी, खांसी, बुखार जैसे इन्फ्लुएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) के मरीजों, बच्चों और गंभीर रोगों से ग्रसित मरीजों की गहन निगरानी करें.

आईएमए की एडवाइजरी और संक्रमण से बचाव के उपाय

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की एडवाइजरी के अनुसार, सर्दियों के मौसम में एचएमपीवी वायरस अधिक तेजी से फैलता है, इसलिए निम्नलिखित सावधानियों का पालन करना चाहिए:

• हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोते रहें.

• गंदे हाथों से आंख, नाक या मुंह को छूने से बचें.

• संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें.

• खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढकें.

• संक्रमण के दौरान खुद को घर में आइसोलेशन में रखें.

विशेष रूप से छोटे बच्चों, 60 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों का विशेष ध्यान रखें.

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