झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक सशक्त नेतृत्व की तलाश है. हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राज्य में संगठन को मजबूत करने के लिए नए नेतृत्व की जरूरत महसूस की जा रही है. इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए प्रमुखता से सामने आ रहा है. रघुवर दास पहले भी झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उनकी वापसी को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं.
राजनीतिक घटनाक्रम ने दिया वापसी को बल
मंगलवार देर शाम रघुवर दास ने ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अक्टूबर 2023 में ओडिशा के राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला था. उनके कार्यकाल के दौरान ओडिशा विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन भाजपा नवीन पटनायक सरकार को सत्ता से हटाने में सफल नहीं हो सकी. अब, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और ओडिशा में नए राज्यपाल की नियुक्ति कर दी है. इस घटनाक्रम के बाद झारखंड भाजपा में उनके सक्रिय होने की संभावना बढ़ गई है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, विधानसभा चुनाव से पहले भी रघुवर दास ने झारखंड की राजनीति में लौटने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन उस समय भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें अनुमति नहीं दी. अब जबकि पार्टी को एक अनुभवी और प्रभावशाली नेता की जरूरत है, रघुवर दास का नाम स्वाभाविक रूप से उभरकर सामने आया है.
भाजपा को सशक्त नेतृत्व की जरूरत
झारखंड में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. इस हार के बाद पार्टी प्रदेश संगठन को मजबूत करने और आगामी चुनावों के लिए तैयारी में जुट गई है. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता बनाए जाने की अटकलें चल रही हैं. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए रघुवर दास को उपयुक्त उम्मीदवार माना जा रहा है. रघुवर दास का ओबीसी समुदाय से होना भी भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है. पार्टी उनकी मदद से ओबीसी वोट बैंक को साधने का प्रयास कर सकती है. इसके अलावा, उनका संगठनात्मक अनुभव और झारखंड की राजनीति में उनकी पकड़ पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होगी.
जमशेदपुर पूर्वी से पांच बार विधायक रहे दास
रघुवर दास ने भाजपा में निचले स्तर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और अपनी मेहनत व कुशल नेतृत्व के दम पर झारखंड के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे. वे झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री बने और पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री पद पर रहे. इसके अलावा, वे लगातार पांच बार जमशेदपुर पूर्वी सीट से विधायक चुने गए. पिछले विधानसभा चुनाव में, रघुवर दास की परंपरागत सीट जमशेदपुर पूर्वी से उनकी बहू पूर्णिमा दास साहू को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया. यह फैसला सफल रहा, और पूर्णिमा दास ने अच्छे अंतर से जीत हासिल की. इससे यह भी साबित होता है कि झारखंड की राजनीति में रघुवर दास का प्रभाव आज भी कायम है.
भाजपा के सामने चुनौतियां और रणनीति
विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा अब संगठनात्मक स्तर पर मजबूती लाने के लिए प्रयास कर रही है. पार्टी ने निचले स्तर तक सदस्यता अभियान चलाने की योजना बनाई है. यह अभियान पार्टी के प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर मजबूत जनाधार बनाने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है. इस बीच, झारखंड में भाजपा को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है. झामुमो गठबंधन ने सत्ता में शानदार वापसी कर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार किया है. ऐसे में भाजपा को राज्य में प्रभावशाली नेतृत्व की जरूरत है, जो पार्टी को मजबूत कर सके और आगामी चुनावों में जीत दिला सके.
रघुवर दास की वापसी की संभावनाएं क्यों मजबूत?
रघुवर दास की झारखंड भाजपा में वापसी की चर्चा इसलिए भी मजबूत है क्योंकि वे प्रदेश संगठन को मजबूती देने के लिए एक उपयुक्त विकल्प हो सकते हैं. उन्होंने झारखंड में भाजपा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को उनके समर्थक झारखंड के विकास के लिए एक अहम दौर मानते हैं. इसके अलावा, दास का पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं से मजबूत जुड़ाव है, जो संगठनात्मक मजबूती के लिए जरूरी है. उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता से पार्टी को न सिर्फ राज्य स्तर पर बल्कि स्थानीय स्तर पर भी लाभ मिलेगा.
आने वाले समय में भाजपा की योजना
झारखंड भाजपा अब नई राजनीतिक परिस्थितियों में अपनी रणनीति तैयार कर रही है. पार्टी का उद्देश्य न सिर्फ संगठन को मजबूत करना है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए जनसमर्थन जुटाना भी है. इसके लिए पार्टी ने निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और जनता से सीधा संवाद स्थापित करने की योजना बनाई है.