पूर्वी सिंहभूम जिले के मउभंडार क्षेत्र में एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास करते हुए साइबर ठग ने 90 लाख रुपये की ठगी की साजिश रची. लेकिन बैंक प्रबंधक की सतर्कता और तत्परता से बुजुर्ग व्यक्ति ठगी का शिकार होने से बच गए. घटना 16 दिसंबर की है. सेवानिवृत्त कर्मचारी के मोबाइल पर एक महिला का वीडियो कॉल आया. महिला ने खुद को मुंबई सीबीआई थाने की एसीपी बताया. उसने बुजुर्ग को झांसे में लेते हुए कहा कि उनके बैंक खाते में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ठगी की राशि भेजी गई है. इस आधार पर उसने बुजुर्ग से कहा कि जांच के लिए वह अपने खाते से 90 लाख रुपये महिला द्वारा बताए गए एक अन्य बैंक खाते में ट्रांसफर कर दें. महिला ने यह भी दावा किया कि छह घंटे बाद यह राशि उन्हें वापस कर दी जाएगी. महिला ने बुजुर्ग को डराने के लिए यह भी कहा कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है. इसका मतलब यह है कि वह घर से बाहर नहीं जा सकते, न ही किसी से बात कर सकते हैं, और मोबाइल भी बंद नहीं कर सकते. साथ ही, महिला ने धमकी दी कि अगर उन्होंने किसी को इस बारे में बताया या हिदायत का पालन नहीं किया, तो उन्हें अगले दिन गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
बुजुर्ग ने तोड़ी एफडी
महिला के इन बातों से बुजुर्ग डर गए और उसके बताए अनुसार कार्य करने लगे. वह मउभंडार स्थित बैंक पहुंचे और अपनी एफडी तोड़कर 90 लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए चेक भरकर बैंक में जमा कर दिया. कुछ ही समय बाद महिला का फिर फोन आया और उसने कहा कि अभी तक राशि नहीं पहुंची है.
बैंक प्रबंधक की सतर्कता ने बचाई रकम
बैंक में चेक जमा होते ही बैंक प्रबंधक प्रीति सोनल को मामले पर संदेह हुआ. उन्होंने राशि ट्रांसफर पर तुरंत रोक लगा दी. साथ ही, उन्होंने स्थानीय पुलिस को भी घटना की सूचना दी. ओपी प्रभारी मौके पर पहुंचे और बुजुर्ग को समझाया कि वह साइबर ठगी का शिकार होने वाले थे.
पुलिस और बैंक की मदद से बची रकम
बुजुर्ग व्यक्ति को जब पूरी घटना की वास्तविकता समझाई गई, तो वह बेहद हैरान रह गए. उन्होंने बताया कि महिला ने खुद को मुंबई सीबीआई थाने की एसीपी बताकर उन्हें इतना डरा दिया था कि वह ठग की बातों में आ गए. पुलिस ने बुजुर्ग को ठगों के तरीकों और सावधानी बरतने की सलाह दी. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि अगर बैंक प्रबंधक ने सतर्कता नहीं दिखाई होती, तो 90 लाख रुपये ठगों के खाते में जा चुके होते.
साइबर ठगों से सतर्क रहने की जरूरत
यह घटना लोगों को साइबर ठगी के नए तरीकों से सतर्क रहने की सीख देती है. साइबर ठग अब वीडियो कॉल, सरकारी अधिकारियों के नाम और डिजिटल अरेस्ट जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर लोगों को डराते हैं और ठगी करते हैं. पुलिस और बैंक प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी अनजान व्यक्ति के कॉल पर बैंक से संबंधित कोई भी जानकारी साझा न करें. किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज के मामले में तुरंत पुलिस या संबंधित अधिकारियों को सूचित करें. पूर्वी सिंहभूम जिले के मउभंडार क्षेत्र में एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास करते हुए साइबर ठग ने 90 लाख रुपये की ठगी की साजिश रची. लेकिन बैंक प्रबंधक की सतर्कता और तत्परता से बुजुर्ग व्यक्ति ठगी का शिकार होने से बच गए. घटना 16 दिसंबर की है. सेवानिवृत्त कर्मचारी के मोबाइल पर एक महिला का वीडियो कॉल आया. महिला ने खुद को मुंबई सीबीआई थाने की एसीपी बताया. उसने बुजुर्ग को झांसे में लेते हुए कहा कि उनके बैंक खाते में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ठगी की राशि भेजी गई है. इस आधार पर उसने बुजुर्ग से कहा कि जांच के लिए वह अपने खाते से 90 लाख रुपये महिला द्वारा बताए गए एक अन्य बैंक खाते में ट्रांसफर कर दें. महिला ने यह भी दावा किया कि छह घंटे बाद यह राशि उन्हें वापस कर दी जाएगी. महिला ने बुजुर्ग को डराने के लिए यह भी कहा कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है. इसका मतलब यह है कि वह घर से बाहर नहीं जा सकते, न ही किसी से बात कर सकते हैं, और मोबाइल भी बंद नहीं कर सकते. साथ ही, महिला ने धमकी दी कि अगर उन्होंने किसी को इस बारे में बताया या हिदायत का पालन नहीं किया, तो उन्हें अगले दिन गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
बुजुर्ग ने तोड़ी एफडी
महिला के इन बातों से बुजुर्ग डर गए और उसके बताए अनुसार कार्य करने लगे. वह मउभंडार स्थित बैंक पहुंचे और अपनी एफडी तोड़कर 90 लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए चेक भरकर बैंक में जमा कर दिया. कुछ ही समय बाद महिला का फिर फोन आया और उसने कहा कि अभी तक राशि नहीं पहुंची है.
बैंक प्रबंधक की सतर्कता ने बचाई रकम
बैंक में चेक जमा होते ही बैंक प्रबंधक प्रीति सोनल को मामले पर संदेह हुआ. उन्होंने राशि ट्रांसफर पर तुरंत रोक लगा दी. साथ ही, उन्होंने स्थानीय पुलिस को भी घटना की सूचना दी. ओपी प्रभारी मौके पर पहुंचे और बुजुर्ग को समझाया कि वह साइबर ठगी का शिकार होने वाले थे.
पुलिस और बैंक की मदद से बची रकम
बुजुर्ग व्यक्ति को जब पूरी घटना की वास्तविकता समझाई गई, तो वह बेहद हैरान रह गए. उन्होंने बताया कि महिला ने खुद को मुंबई सीबीआई थाने की एसीपी बताकर उन्हें इतना डरा दिया था कि वह ठग की बातों में आ गए. पुलिस ने बुजुर्ग को ठगों के तरीकों और सावधानी बरतने की सलाह दी. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि अगर बैंक प्रबंधक ने सतर्कता नहीं दिखाई होती, तो 90 लाख रुपये ठगों के खाते में जा चुके होते.
साइबर ठगों से सतर्क रहने की जरूरत
यह घटना लोगों को साइबर ठगी के नए तरीकों से सतर्क रहने की सीख देती है. साइबर ठग अब वीडियो कॉल, सरकारी अधिकारियों के नाम और डिजिटल अरेस्ट जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर लोगों को डराते हैं और ठगी करते हैं. पुलिस और बैंक प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी अनजान व्यक्ति के कॉल पर बैंक से संबंधित कोई भी जानकारी साझा न करें. किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज के मामले में तुरंत पुलिस या संबंधित अधिकारियों को सूचित करें.