झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है. रांची पुलिस की एसआईटी जांच में यूपी और बिहार के अपराधियों का संगठित नेक्सस उजागर हुआ है. इस पेपर लीक मामले में यूपी की झांसी जेल में बंद मोनू गुर्जर, अलवर के बलराम गुर्जर और नोएडा के सुमित सिंह मुख्य साजिशकर्ता पाए गए. इन अपराधियों ने परीक्षा का पेपर लीक कर बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और यूपी के अभ्यर्थियों और कोचिंग संचालकों को 3 से 20 लाख रुपए में बेचा.
कैसे हुआ पेपर लीक और बिकी परीक्षा की प्रश्न-पत्र?
एसआईटी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, 28 जनवरी 2024 को होने वाली परीक्षा का पेपर 26 जनवरी को ही अभ्यर्थियों को उपलब्ध करा दिया गया था. यूपी के मेरठ पुलिस की विशेष टास्क फोर्स ने 18 अप्रैल को रांची एसएसपी को ईमेल के माध्यम से जानकारी दी कि मेरठ के रवि अत्री और उसके गिरोह ने इस पेपर लीक में भूमिका निभाई. रवि अत्री पहले से यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में अभियुक्त है. मोनू गुर्जर और बलराम गुर्जर ने झांसी जेल और राजस्थान के अलग-अलग स्थानों से पेपर लीक की योजना बनाई. इनके संपर्क में बिहार के नालंदा निवासी संजीव कुमार और पटना के अतुल वत्स भी शामिल थे, जिन्होंने पेपर को बड़े स्तर पर अभ्यर्थियों और कोचिंग संचालकों को बेचा.
बिहार विधानसभा के मार्शल का लिंक और परिवार का काला धंधा
जांच में खुलासा हुआ कि पटना गैंग ने पेपर लीक के बाद अभ्यर्थियों की तलाश शुरू की. इस दौरान उनका संपर्क बिहार विधानसभा के मार्शल रिजवान से हुआ. रिजवान ने अपने ससुर, झारखंड विधानसभा के तत्कालीन अवर सचिव शमीम, और उनके बेटों के साथ मिलकर अभ्यर्थियों को फंसाने की साजिश रची. शमीम ने अभ्यर्थियों से पैसे लेकर उन्हें परीक्षा से दो दिन पहले पटना बुलाया. यहां बंद कमरे में उन्हें प्रश्न-पत्र के उत्तर रटवाए गए. शमीम ने अपनी पहचान छिपाने के लिए मृत संबंधियों के नाम पर सिम कार्ड खरीदे.
कैसे हुआ गिरोह का भंडाफोड़?
पेपर लीक के बाद गिरोह ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की वेबसाइट पर प्रश्न-पत्र और उत्तर अपलोड कर दिए, ताकि परीक्षा रद्द हो जाए और अभ्यर्थी पैसे वापस मांगने का दबाव न बनाएं. इस दौरान गलती से एक अभ्यर्थी का बैंक दस्तावेज भी अपलोड हो गया, जिससे पुलिस को सुराग मिला. इसके बाद एसआईटी ने जांच तेज की और शमीम के पुराने हाईकोर्ट भवन स्थित अड्डे का पता लगाया. यहां वह अभ्यर्थियों से मिलता था और पेपर लीक की डीलिंग करता था.
पुनर्परीक्षा में भी पेपर लीक के आरोप
जनवरी में हुई परीक्षा रद्द होने के बाद 21 और 22 सितंबर को दोबारा परीक्षा आयोजित की गई. इस परीक्षा में भी पेपर लीक की शिकायतें आईं. अभ्यर्थियों ने एसआईटी को सबूत सौंपे, जिनमें छह मोबाइल फोन, वॉट्सएप चैट, टेलीग्राम पर जारी उत्तर कुंजी और अन्य दस्तावेज शामिल थे.
गिरोह की कार्यप्रणाली
• अभ्यर्थियों की तलाश: पटना गैंग ने कोचिंग सेंटरों और जान-पहचान के माध्यम से अभ्यर्थियों को फंसाया.
• रटवाए गए उत्तर: परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों को पटना बुलाकर उत्तर याद कराए गए.
• सुरक्षा उपाय: गिरोह के सदस्यों ने सिम कार्ड और अन्य दस्तावेज फर्जी नामों पर खरीदे.
• वेबसाइट पर प्रश्न-पत्र अपलोड: गलती से बैंक दस्तावेज अपलोड होने के कारण गिरोह पकड़ा गया.
गिरोह के मुख्य सदस्य और उनके अपराध
• मोनू गुर्जर: झांसी जेल में बंद, यूपी और झारखंड के कई पेपर लीक मामलों में शामिल.
• बलराम गुर्जर: राजस्थान के अलवर का निवासी, धोखाधड़ी, मारपीट और हत्या के मामलों में आरोपी.
• रवि अत्री: मेरठ का निवासी, यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में भी पेपर लीक का आरोपी.
• शमीम और परिवार: झारखंड विधानसभा से जुड़े, पेपर लीक और अभ्यर्थियों से ठगी में शामिल.
एसआईटी की सिफारिशें और आगे की कार्रवाई
एसआईटी ने इस मामले में विस्तृत जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी है. अब तक की जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि पेपर लीक का पूरा नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ था. झारखंड सरकार ने परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कठोर कदम उठाने का आश्वासन दिया है.