राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य के लगभग साढ़े छह लाख अवैध घरों को रेगुलराइज करने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया है. इस प्रक्रिया में आवासीय और गैर-आवासीय दोनों प्रकार के भवन शामिल होंगे. नगर विकास विभाग के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस योजना के लिए नए सिरे से प्रस्ताव तैयार करें. उन्होंने पूर्व के प्रस्ताव में आवश्यक संशोधन कर युद्धस्तर पर इस कार्य को पूरा करने का आदेश दिया है.
राजधानी रांची में डेढ़ लाख घरों का होगा नियमितीकरण
इस प्रक्रिया के तहत राजधानी रांची में करीब डेढ़ लाख घरों को नियमित किया जाएगा. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मंत्री के निर्देश के बाद काम तेजी से आगे बढ़ चुका है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है.
सभी घरों पर समान रूप से लागू होगी योजना
इस योजना का लाभ राज्य के सभी आवासीय और गैर-आवासीय भवनों पर समान रूप से लागू होगा. हालांकि, नगर विकास विभाग के पास अभी तक पूरे राज्य या नगर निगम क्षेत्रों में अवैध घरों की संख्या का स्पष्ट आंकड़ा नहीं है. ऐसे घर, जिनका नक्शा पास नहीं हुआ है या नक्शा पास होने के बाद निर्माण के दौरान विचलन किया गया है, उनकी संख्या का आकलन किया जाना बाकी है. लेकिन अनुमान है कि राज्य में ऐसे मकानों की संख्या करीब साढ़े छह लाख है.
पूर्व में हेमंत सरकार ने की थी पहल
इस विषय पर हेमंत सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी पहल की थी. इसके लिए ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के मॉडल का अध्ययन कराया गया था. उस समय कैबिनेट की बैठक में भवन नियमितीकरण का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी. भवनों की ऊंचाई से संबंधित मुद्दों पर कुछ मंत्रियों ने आपत्ति जताई थी, जिसके कारण यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया.
पुराने प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएं
हेमंत सरकार के प्रस्ताव में यह प्रावधान था कि
• निर्माण की तारीख: 21 दिसंबर 2019 से पहले निर्मित आवासीय और गैर-आवासीय भवनों का नियमितीकरण हो सकेगा.
• भवन की ऊंचाई: भवन की ऊंचाई अधिकतम 15 मीटर (ग्राउंड प्लस तीन मंजिला) होनी चाहिए.
• प्लॉट का आकार: 500 वर्ग मीटर तक के प्लॉट या उससे अधिक बड़े प्लॉट, जिनका प्लिंथ क्षेत्र 75% या 500 वर्ग मीटर (जो भी कम हो) है, को ही नियमित किया जाएगा.
शुल्क का निर्धारण
नगर विकास विभाग ने भवन नियमितीकरण के लिए शुल्क निर्धारित किया था:
नगर पंचायत क्षेत्रों में
• आवासीय भवन: ₹50 प्रति वर्ग मीटर
• गैर-आवासीय भवन: ₹75 प्रति वर्ग मीटर
नगर पालिका परिषद क्षेत्रों में
• आवासीय भवन: ₹75 प्रति वर्ग मीटर
• गैर-आवासीय भवन: ₹100 प्रति वर्ग मीटर
नगर निगम क्षेत्रों में
• आवासीय भवन: ₹100 प्रति वर्ग मीटर
• गैर-आवासीय भवन: ₹150 प्रति वर्ग मीटर
सरकारी खजाने को होगा अरबों का लाभ
अवैध भवनों को वैध करने के इस निर्णय से राज्य सरकार को अरबों रुपये का राजस्व प्राप्त होगा. मौजूदा समय में कई विकास योजनाओं के लिए धन की आवश्यकता को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस योजना पर शीघ्र निर्णय लेगी.
नगर विकास मंत्री का बयान
नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि सरकार भवनों के रेगुलराइजेशन को लेकर गंभीर है. उन्होंने बताया कि जिन भवनों का नक्शा पास नहीं हुआ है, या जो निगम बनने के बाद नगर निगम क्षेत्र में आए हैं, उनका नियमितीकरण कराया जाएगा. यह निर्णय आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया जा रहा है.