झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के विकास के लिए जरूरी बकाया राशि को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार से मदद मांगी है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसदों से अपील की है कि वे संसद में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएं. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक अखबार के कतरन को साझा करते हुए लिखा कि झारखंड के बीजेपी सांसदों से उन्हें उम्मीद है कि वे राज्य के विकास के लिए इस न्यायसंगत मांग को पूरा कराने में अपनी भूमिका निभाएंगे.
सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर (अब एक्स) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राज्य के विकास के लिए बकाया राशि का भुगतान बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि झारखंड के सांसदों को इस मामले में अपनी आवाज उठानी चाहिए ताकि राज्य को उसका हक मिल सके. उन्होंने अपने संदेश में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य के साथ हो रहे इस कथित भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाने का यह सही समय है.
झामुमो नेता ने भी राष्ट्रपति से लगाई गुहार
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के युवा नेता और पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी ने भी झारखंड की बकाया राशि को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मदद की अपील की है. कुणाल षाडंगी ने अपने एक्स हैंडल पर राष्ट्रपति को टैग करते हुए लिखा कि झारखंड की समस्याओं को राष्ट्रपति बेहतर तरीके से समझ सकती हैं क्योंकि वे एक आदिवासी नेता होने के साथ-साथ झारखंड की पूर्व राज्यपाल भी रही हैं. उन्होंने लिखा कि, “केंद्र सरकार का यह दमनकारी रवैया बेहद शर्मनाक है. कृपया यह सुनिश्चित करें कि झारखंड का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का बकाया तुरंत राज्य को मिल सके”.
क्या है अखबार के कतरन में?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जो अखबार का कतरन साझा किया है, उसमें वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के लोकसभा में दिए गए बयान का जिक्र है. यह बयान बिहार के सांसद पप्पू यादव के सवाल के जवाब में दिया गया था. पप्पू यादव ने लोकसभा में कहा था कि कोयले से राजस्व के रूप में अर्जित झारखंड सरकार की हिस्सेदारी करीब 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार के पास बकाया है, जिसे ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है. उन्होंने केंद्र सरकार से इस पर सफाई मांगी थी. इसके जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा कि झारखंड का कोई भी बकाया केंद्र सरकार के पास लंबित नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा है और यह दावा सही नहीं है.
केंद्र और राज्य के बीच बकाया राशि पर टकराव
झारखंड सरकार और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से बकाया राशि को लेकर विवाद बना हुआ है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कई बार केंद्र सरकार से झारखंड की हिस्सेदारी देने की अपील की है. उनका कहना है कि राज्य के विकास के लिए यह राशि बेहद महत्वपूर्ण है. हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि झारखंड का कोई भी बकाया उसके पास नहीं है. इस मुद्दे पर वित्त राज्य मंत्री के बयान के बाद विवाद और गहरा गया है. झारखंड सरकार इसे राज्य के साथ भेदभाव का मामला बता रही है, जबकि केंद्र सरकार इसे पूरी तरह से खारिज कर रही है.
क्यों अहम है यह मुद्दा?
झारखंड मुख्य रूप से खनिज संपदा से समृद्ध राज्य है और यहां से होने वाली आय का एक बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार को जाता है. राज्य सरकार का दावा है कि कोयले से अर्जित राजस्व में से उसकी हिस्सेदारी केंद्र सरकार के पास अटकी हुई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि यह धनराशि राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में खर्च की जा सकती है.
सांसदों से उम्मीद
मुख्यमंत्री ने झारखंड के बीजेपी सांसदों से अपील की है कि वे अपने राजनीतिक मतभेदों को अलग रखकर इस मुद्दे पर राज्य का साथ दें. उनका कहना है कि राज्य के हित में यह कदम जरूरी है और सभी सांसदों को इस मांग को संसद में उठाना चाहिए.
राष्ट्रपति से विशेष अपील
झामुमो नेता कुणाल षाडंगी ने राष्ट्रपति से अपील करते हुए कहा कि वे झारखंड की पूर्व राज्यपाल और एक आदिवासी नेता होने के नाते इस मुद्दे को समझ सकती हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और झारखंड को उसका बकाया दिलाने में मदद करनी चाहिए.