बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी) मेसरा ने अपनी 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर “रक्षा क्षेत्र में एयरोस्पेस टेक्नोलॉजीज – एक अवलोकन” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। यह सेमिनार बीआईटी मेसरा परिसर में आयोजित हुआ, जिसमें एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी के नवीनतम विकास और रक्षा क्षेत्र में इसके महत्व पर गहन चर्चा की गई।
उद्योग, शिक्षा और अनुसंधान के विशेषज्ञों का संगम
सेमिनार में एयरोस्पेस और रक्षा उद्योगों, शैक्षणिक जगत और वैज्ञानिक समुदाय के प्रमुख विशेषज्ञ एक साथ आए। डीआरडीओ और बीआईटी मेसरा के वरिष्ठ अधिकारियों ने छात्रों और शोधकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में हो रहे नवीनतम विकास और रक्षा क्षेत्र में उनकी उपयोगिता पर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। इस आयोजन की अगुवाई बीआईटी मेसरा के अंतरिक्ष इंजीनियरिंग एवं रॉकेट्री विभाग ने की, जिसकी देखरेख विभाग के प्रोफेसर और प्रभारी डॉ. प्रियांक कुमार ने की। एक दिवसीय इस सेमिनार में डीआरडीओ में हुई हालिया प्रगति और शिक्षाविदों के लिए वित्त पोषण के अवसरों पर भी चर्चा हुई।
महत्वपूर्ण वक्ताओं की प्रस्तुतियां
सेमिनार में सेवानिवृत्त डीआरडीओ वैज्ञानिक और एआरडीबी (एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डेवलपमेंट बोर्ड) की पैनल अध्यक्ष डॉ. रीना शर्मा ने अपने संबोधन में एवियोनिक्स, उड़ान नियंत्रण, उपयोगिता, सेंसर और संचार जैसे विमान प्रणालियों के अनुसंधान को बढ़ावा देने पर जोर दिया। डीआरडीओ मुख्यालय के वैज्ञानिक डॉ. एस.के. पांडे ने एआर एंड डीबी के साथ शोध के अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एआर एंड डीबी, शैक्षणिक संस्थानों को अपनी विस्तारित शाखा के रूप में देखता है और छात्रों को अनुसंधान समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। उन्होंने अपने वक्तव्य को इस प्रेरणादायक पंक्ति से समाप्त किया, “एक साथ मिलकर हम बेहतर करेंगे।“
शैक्षणिक और औद्योगिक दृष्टिकोण
बीआईटी मेसरा के कुलपति प्रो. इंद्रनील मन्ना ने एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में हो रही प्रगति पर चर्चा की और बीआईटी मेसरा की विभिन्न शैक्षणिक इकाइयों की उपलब्धियों को साझा किया। उन्होंने डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं के योगदान को भी सराहा। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ. बिशाख भट्टाचार्य ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से बुद्धिमान स्वायत्त प्रणालियों के भविष्य के डिजाइन पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने इस क्षेत्र में संभावनाओं और छात्रों के लिए इसके महत्व पर भी जोर दिया। डीएमएसआरडीई कानपुर के वैज्ञानिक डॉ. ए.के. सिंह ने एयरोस्पेस अनुप्रयोगों में उन्नत पॉलिमर कंपोजिट के उपयोग पर जानकारी दी, जबकि एलआरडीई बेंगलुरु के वैज्ञानिक श्री अमनदीप गर्ग ने हवाई राडार पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
नवाचार और सहयोग को प्रोत्साहन
सेमिनार के दौरान शिक्षा जगत और रक्षा अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाने और नवाचार को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। बीआईटी मेसरा के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने अपने चल रहे अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी। इस इंटरएक्टिव सत्र ने छात्रों को वास्तविक दुनिया में रक्षा क्षेत्र की चुनौतियों और अवसरों से अवगत कराया। कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने इसे बेहद उपयोगी और प्रेरणादायक बताया।