झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 से पहले एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय सदस्य धरनीधर मंडल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, वहीं झामुमो ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित भी कर दिया है. धरनीधर मंडल का इस्तीफा और पार्टी से निष्कासन सिंदरी विधानसभा सीट को लेकर उनके असंतोष का परिणाम है. सिंदरी सीट इस बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) [भाकपा (माले)] के पास चली गई है, जिसके कारण धरनीधर मंडल को टिकट नहीं मिल पाया. उन्होंने यह निर्णय उस समय लिया जब उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें झामुमो से इस सीट पर टिकट मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
धरनीधर मंडल का इस्तीफा और झामुमो से निष्कासन
धरनीधर मंडल, जो धनबाद जिले के सिंदरी विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे फूलचंद मंडल के पुत्र हैं, ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. झामुमो के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने भी इस फैसले के बाद उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. धरनीधर मंडल का यह कदम तब आया जब वह सिंदरी सीट के लिए पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाए हुए थे, लेकिन इस सीट पर भाकपा (माले) के उम्मीदवार को टिकट मिल गया. भाकपा (माले) ने इस सीट से चंद्रदेव महतो (बबलू महतो) को उम्मीदवार बनाया है, जो मार्क्सवादी समन्वय समिति के विधायक रहे आनंद महतो के बेटे हैं.
सिंदरी सीट का ऐतिहासिक महत्व
सिंदरी विधानसभा सीट का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। यह सीट लंबे समय तक वामपंथी दलों के कब्जे में रही है, लेकिन 30 साल की मेहनत के बाद फूलचंद मंडल ने वर्ष 2000 में इस सीट से लाल झंडे (वामपंथी) को उखाड़कर भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया. 2005 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, फिर भी वह पार्टी में बने रहे और उन्होंने झारखंड के नेता विनोद बिहारी महतो के बेटे राजकिशोर महतो को इस सीट से जिताने में अहम भूमिका अदा की थी. इसके बाद 2009 में फूलचंद मंडल को झारखंड विकास मोर्चा (JVM) से टिकट मिला और उन्होंने फिर से चुनाव जीतकर यह सीट हासिल की. 2014 में फूलचंद मंडल भाजपा में वापस आए और पार्टी ने उन्हें टिकट दिया, जिसके बाद वह एक बार फिर विधायक बने. हालांकि, 2019 में उम्र के चलते उन्होंने अपने बेटे धरनीधर मंडल के लिए टिकट मांगा, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसके बाद पार्टी ने इंद्रजीत महतो को टिकट दिया, जिसके बाद फूलचंद मंडल ने भाजपा से बगावत की और झामुमो में शामिल हो गए. हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के उम्मीदवार के तौर पर उनका चुनावी मुकाबला भाजपा के इंद्रजीत महतो से हुआ और वह तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो गई.
धरनीधर मंडल की निराशा और इस्तीफा
धरनीधर मंडल पिछले तीन वर्षों से सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उन्हें टिकट नहीं मिलेगा. झामुमो से टिकट नहीं मिलने के कारण वह नाराज हो गए और उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इस इस्तीफे के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह भविष्य में किसी अन्य पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं, खासकर भाजपा से. वहीं, इस इस्तीफे और निष्कासन के बाद झामुमो के लिए एक और चुनौती बढ़ गई है, क्योंकि सिंदरी क्षेत्र में पार्टी की पकड़ मजबूत थी और अब इस सीट पर भाकपा (माले) का कब्जा हो चुका है.
धरनीधर मंडल के राजनीतिक जीवन का संक्षिप्त इतिहास
धरनीधर मंडल ने राजनीति में अपने पिता फूलचंद मंडल के नक्शे कदम पर चलते हुए सक्रियता दिखाई थी. फूलचंद मंडल, जो सिंदरी से तीन बार विधायक रह चुके हैं, ने क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी. इसके अलावा, धरनीधर मंडल की पत्नी माया देवी भी 2010 से 2015 तक धनबाद जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी हैं. इनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मंडल परिवार का क्षेत्र में एक मजबूत राजनीतिक असर रहा है. हालांकि, सिंदरी सीट से टिकट न मिलने के बाद उनका निराश होना स्वाभाविक था.
झामुमो के लिए यह इस्तीफा एक बड़ा झटका
झामुमो के लिए धरनीधर मंडल का इस्तीफा एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि वह पार्टी के केंद्रीय सदस्य रहे थे और उनकी स्थिति काफी मजबूत थी. इस इस्तीफे के साथ-साथ यह भी देखा जा रहा है कि झामुमो में आंतरिक असंतोष बढ़ रहा है, खासकर उन नेताओं के बीच जिनके लिए टिकट नहीं दिया गया है. ऐसे में यह इस्तीफा चुनावी रणभूमि में झामुमो के लिए एक चुनौती पैदा कर सकता है, खासकर सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में.