चक्रवात ‘दाना’ का टला खतरा: ओडिशा-बंगाल में लाखों सुरक्षित, झारखंड में भारी बारिश…..

चक्रवाती तूफान “दाना” ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल में असर जरूर दिखाया, लेकिन समय रहते राहत कार्यों के चलते दोनों राज्यों में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. जहां ओडिशा में चक्रवात से जनहानि टल गई, वहीं पश्चिम बंगाल में तूफान के कारण दो लोगों की मृत्यु हुई. दोनों राज्यों में प्रशासन की तत्परता से करीब 8.16 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. तूफान गुरुवार रात को ओडिशा के भितरकनिका और भद्रक जिलों में धामरा के पास 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से टकराया, लेकिन शुक्रवार सुबह तक कमजोर होकर गहरे अवसाद में बदल गया.

तूफान से हुआ बड़े पैमाने पर राहत कार्य

ओडिशा और पश्चिम बंगाल में प्रशासन ने व्यापक स्तर पर राहत कार्य चलाए, जिसमें लाखों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया. ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने राज्य में “शून्य मृत्यु” के लक्ष्य को हासिल करने पर गर्व जताया और आपदा के दौरान विशेष योगदान देने वालों की सराहना की. उन्होंने विशेष रूप से आशा कार्यकर्ता सिबानी मंडल का जिक्र किया, जिन्होंने बुजुर्गों को अपनी पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया. दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जानकारी दी कि उनके राज्य में 2.16 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया, हालांकि दो लोगों की मृत्यु हुई.

ओडिशा में 2,211 बच्चों का जन्म, 18 ट्विन्स भी शामिल

तूफान के दौरान ओडिशा में 4,859 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव केंद्रों तक पहुंचाया गया, जिनमें से 23 और 24 अक्टूबर को 2,211 बच्चों का जन्म हुआ. नवजातों में 18 ट्विन्स (जुड़वां) भी शामिल हैं. यह प्रशासन की योजनाबद्धता और मेडिकल स्टाफ की तत्परता को दर्शाता है, जिन्होंने चक्रवात के बावजूद लोगों की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी.

झारखंड में तूफान का असर: भारी बारिश, ठंड का अहसास

चक्रवाती तूफान का असर झारखंड में भी देखा गया, जहां अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश हुई सबसे अधिक प्रभाव पूर्वी सिंहभूम में पड़ा, जहां गुड़ाबांधा में पिछले 24 घंटे में 71.2 मिमी बारिश दर्ज की गई. अन्य क्षेत्रों में भी अच्छी-खासी बारिश हुई – जैसे जगन्नाथपुर में 37.5 मिमी, चाईबासा में 37.2 मिमी और मुसाबनी में 31.8 मिमी बारिश हुई. इस बारिश के कारण राज्य में अधिकतम तापमान में 4.4 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई, जिससे लोगों को ठंड का अहसास होने लगा है. मौसम विज्ञान केंद्र, रांची के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद के अनुसार, आगामी दिनों में भी बारिश होने की संभावना है. शनिवार और रविवार को रुक-रुक कर बारिश की संभावना है, जबकि 28 और 29 अक्टूबर को पूर्वी-पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, सरायकेला, रांची और खूंटी में हल्की बारिश हो सकती है.

उड़ानें और रेल सेवा फिर शुरू

तूफान के कमजोर पड़ने के बाद शुक्रवार सुबह 8 से 9 बजे के बीच हवाई यातायात सामान्य हो गया. रांची से कोलकाता और भुवनेश्वर के लिए उड़ानें बहाल कर दी गईं. इसी के साथ, देवघर से कोलकाता के बीच भी उड़ान सेवा फिर से चालू हो गई. हालांकि, मौसम खराब होने के कारण मुंबई से रांची आ रही एक फ्लाइट को लखनऊ डायवर्ट करना पड़ा था. कुछ देर बाद मौसम सुधरने पर फ्लाइट को रांची लाया गया.

पुरी जगन्नाथ मंदिर और तटीय क्षेत्रों पर असर

ओडिशा के प्रसिद्ध पुरी जगन्नाथ मंदिर परिसर में भी तूफान का असर दिखाई दिया, जहां सामान्य दिनों में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं, वह परिसर शुक्रवार को पूरी तरह खाली रहा. चक्रवात के चलते तटीय इलाकों में समुद्री लहरें तेज हो गई थीं, जिससे मछुआरों और स्थानीय निवासियों को अलर्ट पर रखा गया था. साथ ही, तट के किनारे स्थित कई गांवों में पानी भर गया, लेकिन सही समय पर किए गए राहत कार्यों की वजह से जनहानि नहीं हुई.

भविष्य की तैयारियों पर जोर

इस बार समय पर प्रशासन की सक्रियता से जान-माल का बड़ा नुकसान टला, लेकिन ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए दोनों राज्य सरकारों ने भविष्य के लिए तैयारियों को और पुख्ता करने की जरूरत पर जोर दिया है.

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