मधुपुर विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व मंत्री राज पलिवार नाराज चल रहे हैं. उन्हें पार्टी से मधुपुर विधानसभा सीट से टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस बात से नाखुश पलिवार अब भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. उनकी नाराजगी इतनी बढ़ गई है कि वह कांग्रेस के टिकट पर जरमुंडी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. इस बारे में कई अटकलें लगाई जा रही हैं और राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है.
राज पलिवार ने सोशल मीडिया पर व्यक्त की नाराजगी
राज पलिवार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर अपनी नाराजगी को खुलकर जाहिर किया है. उन्होंने कहा कि भाजपा को मधुपुर सीट से उस कार्यकर्ता को टिकट देना चाहिए था जिसने सालों से बिना किसी स्वार्थ के पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया है. उनकी यह टिप्पणी पार्टी के उम्मीदवार चयन को लेकर गहरे असंतोष को दर्शाती है. उन्होंने लिखा, “यह बेहद दुखद है कि ऐसे समर्पित कार्यकर्ता की जगह एक धनवान व्यक्ति को चुना गया. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें टिकट न मिलने से व्यक्तिगत दर्द उतना नहीं हुआ, जितना यह देखकर पीड़ा हो रही है कि पार्टी ने अपने समर्पित कार्यकर्ता को नजरअंदाज किया. यह बयान पार्टी के अंदर गहरे असंतोष और नाराजगी का संकेत है, खासकर ऐसे कार्यकर्ताओं के लिए जो सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. राज पलिवार का यह बयान न केवल भाजपा के टिकट बंटवारे पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि वह पार्टी छोड़ने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं.
जरमुंडी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की संभावना
सूत्रों के मुताबिक, राज पलिवार अब कांग्रेस के टिकट पर जरमुंडी से चुनाव लड़ सकते हैं. वर्तमान में जरमुंडी सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और वहां से बादल पत्रलेख पिछले दो चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर चुके हैं. हालांकि, हाल ही में हुए घटनाक्रमों के बाद बादल पत्रलेख को कांग्रेस से टिकट मिलने पर संशय पैदा हो गया है. ऐसे में कांग्रेस इस बार राज पलिवार को जरमुंडी से अपना प्रत्याशी बना सकती है. राज पलिवार से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर संकेत दिया कि वे देवघर लौटने के बाद अपने अगले कदम के बारे में स्पष्ट करेंगे. उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने या जरमुंडी से चुनाव लड़ने के सवालों पर खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन इशारों में अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में संकेत दिया.
बादल पत्रलेख का टिकट कट सकता है
जरमुंडी सीट पर बादल पत्रलेख का प्रभाव काफी समय से बना हुआ था. वे कांग्रेस के कोटे से राज्य में मंत्री भी थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें अचानक मंत्री पद से हटा दिया गया. इसके बाद से उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस इस बार बादल पत्रलेख का टिकट काट सकती है. ऐसे में कांग्रेस के लिए राज पलिवार एक मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं, जो भाजपा छोड़कर पार्टी में शामिल हो सकते हैं.
भाजपा ने जरमुंडी से फिर जताया देवेन्द्र कुंवर पर भरोसा
जहां एक तरफ कांग्रेस राज पलिवार को जरमुंडी से चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है, वहीं भाजपा ने एक बार फिर से जरमुंडी सीट से देवेन्द्र कुंवर पर भरोसा जताया है. देवेन्द्र कुंवर पहले भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं और उनके प्रति पार्टी की उम्मीदें बरकरार हैं. हालांकि, राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि संताल परगना क्षेत्र की राजनीति में अगले कुछ दिनों में बड़ा बदलाव हो सकता है.
राजनीति में उथल-पुथल की संभावना
संताल परगना की राजनीति में राज पलिवार के कदम से हलचल तेज हो गई है. भाजपा में गहरी नाराजगी के बावजूद उन्होंने अभी तक औपचारिक रूप से पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन उनकी सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों से ऐसा लगता है कि वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. उनके कांग्रेस में जाने से इस क्षेत्र की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है, खासकर जरमुंडी सीट पर. राज पलिवार का कांग्रेस में शामिल होना जरमुंडी सीट के समीकरणों को बदल सकता है. कांग्रेस भी पलिवार को अपने पक्ष में करने का पूरा प्रयास कर रही है, ताकि इस महत्वपूर्ण सीट पर जीत हासिल की जा सके. दूसरी तरफ, भाजपा की रणनीति देवेन्द्र कुंवर के इर्द-गिर्द घूम रही है, जिन्हें पार्टी ने फिर से उम्मीदवार बनाया है.