वादों का हिसाब दो, विकास की राह दिखाओ: हेमंत सोरेन के सामने 2019 के वादों की कसौटी….

हेमंत सोरेन ने 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान कई बड़े वादे किए थे, जिन्हें लेकर जनता की उम्मीदें जुड़ी थीं. अब 2024 के चुनावी दौर में उनके कार्यों और घोषणाओं की समीक्षा और सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के मुद्दे पर सवाल उठ रहे हैं. 2019 में 300 से अधिक वादों का जिक्र हुआ था, जिनमें रोजगार, किसानों की कर्ज माफी, और शिक्षा से जुड़े मुद्दे प्रमुख थे. आज, जनता उनसे यही उम्मीद करती है कि वे अपने पुराने वादों को निभाएं और झारखंड के विकास को और आगे बढ़ाएं.

झामुमो के बड़े वादे और उनकी स्थिति:

हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले जनता के समक्ष कई बड़े वादे किए थे. झारखंड में नयी सरकार के गठन पर झामुमो ने यह घोषणा की थी कि राज्य में एक नहीं, बल्कि चार उपराजधानियां होंगी. मौजूदा उपराजधानी दुमका के अलावा चाईबासा, पलामू और हजारीबाग को भी उपराजधानी बनाया जाएगा. हालांकि, इन घोषणाओं को अभी तक मूर्त रूप नहीं मिल पाया है. इसके अलावा, नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75% आरक्षण का वादा किया गया था. साथ ही, किसानों की कर्ज माफी और बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने का भी आश्वासन दिया गया था. झामुमो ने यह वादा किया था कि सरकार बनने पर पांच लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा, लेकिन इस दिशा में भी अपेक्षानुसार काम नहीं हो पाया है. झामुमो ने सरकारी नौकरी में महिलाओं को 50% आरक्षण देने का वादा किया था. इसके अलावा, पिछड़े वर्ग को नौकरियों में 27% आरक्षण देने का भी आश्वासन दिया गया था. इन मुद्दों पर भी जनता सरकार से ठोस कदम उठाने की उम्मीद कर रही है.

किसानों और रोजगार पर घोषणाएं:

किसानों के लिए कर्ज माफी का वादा झामुमो ने अपने घोषणापत्र में प्रमुखता से किया था. पार्टी ने यह भी कहा था कि किसानों को खेती के लिए मुफ्त बिजली दी जाएगी और सिंचाई की सुविधाओं में सुधार किया जाएगा. इसके साथ ही, खेतीहर मजदूरों को स्वरोजगार के लिए 15 हजार रुपये का अनुदान देने की बात कही गई थी. लेकिन आज भी किसानों की समस्याएं और आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि सरकार की योजनाएं जमीन पर पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई हैं. रोजगार के क्षेत्र में झामुमो ने यह वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी, तो पांच लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा. इसके अलावा, निजी क्षेत्र में भी 75% आरक्षण स्थानीय लोगों के लिए सुनिश्चित करने का वादा किया गया था. परंतु, रोजगार के मोर्चे पर अभी भी युवाओं को ठोस नतीजों का इंतजार है.

महिलाओं और शिक्षा के लिए योजनाएं:

महिलाओं के लिए झामुमो ने कई अहम योजनाओं की घोषणा की थी. पार्टी ने वादा किया था कि सरकारी नौकरी में महिलाओं को 50% आरक्षण मिलेगा. इसके साथ ही, महिलाओं को आधार कार्ड पर बिना गारंटी 50,000 रुपये का ऋण देने की भी बात कही गई थी. इसके अलावा, निर्धन महिलाओं को हर महीने 2,000 रुपये चूल्हा खर्च के रूप में देने का भी वादा किया गया था. शिक्षा के क्षेत्र में भी झामुमो ने कई घोषणाएं की थीं. उन्होंने लड़कियों को प्राथमिक से पीएचडी तक मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया था. इसके अलावा, पिछड़े वर्ग और गरीब सवर्ण छात्रों को मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्ति देने की योजना भी घोषित की गई थी. पार्टी ने यह भी कहा था कि राज्य में तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि युवा रोजगार के अवसर पा सकें. इन योजनाओं की स्थिति आज भी अधर में है, और जनता सरकार से इनके क्रियान्वयन की उम्मीद लगाए बैठी है.

कांग्रेस और राजद के वादे:

कांग्रेस ने भी 2019 के विधानसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र के माध्यम से कई बड़े वादे किए थे. पार्टी ने कहा था कि अगर उनकी सरकार बनी, तो परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी. कांग्रेस ने यह भी वादा किया था कि जब तक नौकरी नहीं मिलती, तब तक परिवार के एक सदस्य को बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. इसके साथ ही, कांग्रेस ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 50% आरक्षण देने का भी वादा किया था. कांग्रेस, झामुमो और राजद गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा गया था, जिसमें झामुमो को 43, कांग्रेस को 31 और राजद को 7 सीटें मिली थीं. राजद ने भी अपने घोषणापत्र में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण और गरीब सवर्णों को मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया था. इसके साथ ही, राजद ने अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात कही थी. राजद ने यह भी कहा था कि अगर गठबंधन की सरकार बनी, तो कृषि ऋण माफी और भूमिहीनों को जमीन देने के लिए विशेष योजनाएं लागू की जाएंगी.

हेमंत सोरेन का दावा:

हेमंत सोरेन ने नक्सलवाद को खत्म करने का वादा भी किया था. उनका मानना था कि राज्य से नक्सलवाद को समाप्त करने का एकमात्र उपाय सभी को रोजगार मुहैया कराना है. उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि वह नक्सलवाद की समस्या को सही तरीके से हल नहीं कर रही है. सोरेन का कहना था कि अगर उनकी सरकार बनी, तो वे रोजगार सृजन पर जोर देंगे, ताकि नक्सलवाद जैसी समस्याओं का समाधान हो सके. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा था कि अगर झामुमो की सरकार बनी, तो वे राज्य में एक साल के भीतर पांच लाख युवाओं को नौकरी देंगे. अगर वे इस वादे को पूरा नहीं कर पाए, तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे. जनता अब इस वादे की समीक्षा कर रही है, और सरकार से अपेक्षाएं बढ़ गई हैं.

स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक योजनाएं:

स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए झामुमो ने हर पंचायत में एक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने का वादा किया था. इसके साथ ही, पार्टी ने गरीब परिवारों के लिए तीन कमरों वाले घर देने और भूमि अधिकार कानून बना कर हर भूमिहीन को भूखंड देने का भी वादा किया था. पार्टी ने वृद्धावस्था पेंशन, महिलाओं के लिए चूल्हा खर्च, और गरीबों को 72 हजार रुपये सालाना देने की भी योजना बनाई थी.

भाजपा पर आरोप:

हेमंत सोरेन ने भाजपा पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि भाजपा सरकार ने झारखंड को विकास की राह से भटकाया है. भाजपा के नेतृत्व में राज्य की स्थिति दयनीय हो गई है, और राज्य में अपराध की घटनाएं बढ़ गई हैं. उन्होंने रघुवर दास सरकार पर भी तीखे हमले किए और कहा कि उनकी सरकार ने किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया है और वे जनता के हितों की अनदेखी कर रही है.

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