झारखंड की राजनीति में बवाल: गोगो दीदी योजना पर सीएम हेमंत सोरेन की सख्ती….

झारखंड की राजनीति में इन दिनों बड़ा बवाल खड़ा हो गया है. राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा गोगो दीदी योजना के नाम से फॉर्म भरवाने की शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की, जिसके बाद सीएम ने कड़ा रुख अपनाया. सीएम सोरेन ने तुरंत सभी जिलों के उपायुक्तों (डीसी) को निर्देश दिया कि चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए और जो भी दोषी पाया जाए, उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए.

झामुमो की शिकायत और सीएम का एक्शन

झामुमो कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा गोगो दीदी योजना के तहत महिलाओं को 2100 रुपये देने का वादा कर फॉर्म भरवा रही है, जो चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन है. झामुमो ने यह भी कहा कि भाजपा नियमों की धज्जियां उड़ा रही है और चुनाव आयोग इस मामले में चुप्पी साधे हुए है. इन शिकायतों के आधार पर मुख्यमंत्री ने सभी डीसी को निर्देश दिया कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और सुनिश्चित करें कि चुनाव आयोग के नियमों का पूरी तरह से पालन हो. सोमवार को अपने आधिकारिक ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर सीएम हेमंत सोरेन ने पोस्ट जारी कर कहा कि किसी को भी चुनाव आयोग के नियमों को तोड़ने की छूट नहीं दी जाएगी. डीसी को निर्देश दिया गया है कि वे दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और केस दर्ज कर इसकी जानकारी दें.

भाजपा का पलटवार: बाबूलाल मरांडी की प्रतिक्रिया

भाजपा इस मामले में आक्रामक रुख अपनाए हुए है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीएम के आदेश पर तीखा हमला किया है. मरांडी ने कहा कि वे खुद भी गोगो दीदी योजना के फॉर्म भरवाएंगे, और अगर राज्य सरकार उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराती है, तो वे इससे डरने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री को संवैधानिक ज्ञान का अभाव है और वे गलत सलाहकारों से घिरे हुए हैं. चुनाव आयोग की आचार संहिता लागू होने से पहले सीएम का ऐसा निर्देश पूरी तरह अनुचित है. मरांडी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे घर-घर जाकर इस योजना के फॉर्म भरवाएं और महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें. उन्होंने कहा कि भाजपा महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस योजना के तहत महिलाओं के बैंक खातों में 2100 रुपये प्रति माह भेजे जाएंगे, यदि भाजपा सत्ता में आती है.

गिरिडीह प्रशासन की चेतावनी

इस बीच, गिरिडीह जिला प्रशासन ने एक आम सूचना जारी कर लोगों को गोगो दीदी योजना के नाम पर चल रही फॉर्म भरने की प्रक्रिया से सावधान रहने को कहा है. प्रशासन ने साफ किया है कि जिले में इस नाम से कोई योजना संचालित नहीं की जा रही है और न ही सरकार द्वारा कोई फॉर्म जारी किया गया है. प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के भ्रामक विज्ञापन से बचें और ऐसे किसी भी धोखाधड़ी से सतर्क रहें.

हिमंता विश्वा सरमा का बयान

असम के मुख्यमंत्री और झारखंड चुनाव प्रभारी हिमंता विश्वा सरमा ने भी इस मामले में बयान देते हुए राज्य सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की आचार संहिता चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रभाव में आती है, और तब तक हर राजनीतिक दल को अपने कार्यक्रम संचालित करने का अधिकार है. उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह भाजपा की गतिविधियों में अवैध रूप से हस्तक्षेप कर रही है और इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा.

झामुमो की नाराजगी और भाजपा पर आरोप

झामुमो ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि वह नियमों को दरकिनार कर अपनी राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ा रही है. पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा कि भाजपा के नेता और उनके सहयोगी खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं और चुनाव आयोग चुप बैठा हुआ है. झामुमो ने चेतावनी दी कि यदि भाजपा इस तरह के हथकंडे अपनाती रही, तो ‘इंडिया गठबंधन’ भी इसी तरह के तरीके अपनाने के लिए मजबूर होगा.

राजनीतिक माहौल गरमाया

गोगो दीदी योजना पर शुरू हुआ यह विवाद झारखंड की राजनीति को गरमाने का काम कर रहा है. भाजपा और झामुमो के बीच इस मुद्दे पर लगातार आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं. जहां एक ओर झामुमो का आरोप है कि भाजपा नियमों का उल्लंघन कर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा का दावा है कि यह योजना महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए है और इसमें कोई गैरकानूनी गतिविधि नहीं की जा रही है. सीएम सोरेन का यह निर्देश भाजपा को सीधे तौर पर चुनौती देता है, जबकि भाजपा इसे सरकारी दमन के रूप में देख रही है. बाबूलाल मरांडी और हिमंता विश्वा सरमा का बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि भाजपा इस मामले को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है. वहीं, झामुमो इसे भाजपा की चालबाजी करार दे रही है और इसे चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन मान रही है.

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