धनबाद स्थित बीआईटी सिंदरी की एक छात्रा साइबर अपराधियों का शिकार हो गई, जिन्होंने निवेश के नाम पर उससे 14 लाख 15 हजार 407 रुपये की ठगी कर ली. इस मामले में 1 अगस्त 2024 को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार आरोपित का नाम इंद्रजीत सिंह है, जो पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर जिले के गोविंदपुर थाना क्षेत्र के लुआबासा पोस्ट स्थित धोड़ाबांधा तिलता बस्ती का निवासी है.
आरोपी की गिरफ्तारी और सबूतों की बरामदगी
साइबर अपराध थाने की पुलिस ने इंद्रजीत सिंह को गिरफ्तार करने के बाद उसके पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और उपकरण जब्त किए हैं. इनमें एक मोबाइल फोन, एक सिम कार्ड, एक लैपटॉप, चार बैंक पासबुक, चार चेकबुक, एक आधार कार्ड और एक पैन कार्ड शामिल हैं. पुलिस ने ये सभी सबूत इकट्ठा कर आगे की जांच शुरू कर दी है.
कैसे हुई ठगी?
पीड़ित छात्रा के अनुसार, उसे अलग-अलग मोबाइल नंबरों से लगातार संपर्क किया गया. पहले उसे ऑनलाइन ट्रेडिंग के बारे में जानकारी दी गई और इसके बाद एक टेलीग्राम प्रोफाइल से संपर्क किया गया. इसके जरिए उसे एक वेबसाइट का लिंक भेजा गया, जिस पर उसे अपना आईडी बनाकर निवेश करने के लिए कहा गया. शुरुआत में उसे लुभाने के लिए उसके बैंक खाते में कुछ पैसे डाले गए, जिससे उसे यह विश्वास हो गया कि वह लाभ कमा सकती है. जब उसका विश्वास पूरी तरह से बन गया, तो उसे और पैसे जमा करने के लिए कहा गया. उसने धीरे-धीरे अपने पैसे निवेश करना शुरू किया, लेकिन कुछ समय बाद साइबर अपराधियों ने उसके खाते में पैसे डालना बंद कर दिया और उसे पूरी तरह से नजरअंदाज करना शुरू कर दिया. इस तरह से उसके साथ कुल 14 लाख 15 हजार 407 रुपये की साइबर ठगी की गई.
साइबर अपराध की जांच और आरोपी के खाते की पड़ताल
जांच के दौरान पता चला कि आरोपी इंद्रजीत सिंह के नाम पर एक प्रोपराइटरशिप फर्म है, जिसका नाम वेलुम्ड एडु प्राइवेट लिमिटेड है. इस फर्म का बैंक खाता इंडसइंड बैंक में है, जिसमें एक ही दिन में 1.5 करोड़ रुपये का क्रेडिट हुआ है. यह फर्म साइबर अपराधियों की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जो झूठे निवेश के नाम पर लोगों से पैसे ऐंठती है. इसके अलावा, भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा संचालित नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से पता चला है कि इस फर्म के खिलाफ हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, केरल, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से कुल 27 शिकायतें दर्ज हैं. यह बताता है कि यह मामला केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि एक बड़ा साइबर अपराधी गिरोह सक्रिय है, जो पूरे देश में लोगों को ठगने का काम कर रहा है.
कैसे करें बचाव?
आजकल सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर साइबर अपराधियों की सक्रियता तेजी से बढ़ी है. वे लोगों को आकर्षक निवेश योजनाओं के नाम पर ठगते हैं. इसलिए लोगों को जागरूक रहने की आवश्यकता है.
निम्नलिखित सावधानियां बरतकर आप इस तरह के अपराधों से बच सकते हैं:
- संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें: फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम, गूगल एड्स आदि के माध्यम से भेजे जाने वाले निवेश के ऑफर से संबंधित विज्ञापनों के लिंक पर कभी भी क्लिक न करें. इन लिंक के जरिए किसी भी वेबसाइट या ऐप पर अपनी जानकारी रजिस्टर न करें.
- बैंक खातों में पैसा जमा न करें: वॉट्सऐप, टेलीग्राम या किसी अन्य मैसेजिंग ऐप के माध्यम से मिलने वाले बैंक खाते या यूपीआई आईडी पर कभी भी पैसे जमा न करें. साइबर अपराधी इस तरह के माध्यमों का उपयोग करके आपके पैसे ठगते हैं.
- साइबर अपराध की सूचना दें: यदि आप किसी भी प्रकार की साइबर ठगी का शिकार होते हैं, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या https://cybercrime.gov.in/ पर अपनी शिकायत दर्ज करें. इसके अलावा, आप अपने नजदीकी थाना या साइबर क्राइम सेल में भी लिखित शिकायत कर सकते हैं.
- ऑनलाइन ट्रेडिंग से बचें: यदि कोई व्यक्ति ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर आपको संपर्क करता है, तो पहले उसकी सत्यता की जांच करें. हमेशा विश्वसनीय और प्रमाणित प्लेटफार्मों पर ही निवेश करें.
- सोशल मीडिया पर सतर्क रहें: सोशल मीडिया पर मिलने वाले अज्ञात प्रोफाइल से जुड़ने या उनके द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक करने से पहले सावधानी बरतें. साइबर अपराधी अक्सर फर्जी प्रोफाइल का इस्तेमाल करके लोगों को लुभाते हैं.
आरोपी के खाते में जमा बड़ी राशि
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि आरोपी इंद्रजीत सिंह के खाते में एक दिन में करीब 1.5 करोड़ रुपये जमा हुए हैं. इसका मतलब यह है कि यह व्यक्ति बड़े स्तर पर साइबर ठगी में शामिल है. साइबर अपराधी नेटवर्क का हिस्सा होने के चलते इसने देशभर के कई लोगों को अपने जाल में फंसाया है. इसके बैंक खाते की जांच में यह भी पता चला है कि देशभर से इस फर्म के खिलाफ 27 से अधिक शिकायतें दर्ज हैं. यह दिखाता है कि यह ठगी का नेटवर्क केवल झारखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में फैला हुआ है. ऐसे में पुलिस अब आरोपी के अन्य साथियों और इस गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी है.
कैसे होता है साइबर ठगी का जाल?
साइबर अपराधी आमतौर पर मासूम लोगों को सोशल मीडिया या मैसेजिंग ऐप्स के जरिए संपर्क करते हैं. वे खुद को निवेश या ऑनलाइन ट्रेडिंग का विशेषज्ञ बताते हैं और लोगों को कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का लालच देते हैं. इसके बाद वे फर्जी वेबसाइट या ऐप का लिंक भेजते हैं और वहां रजिस्टर करने के लिए कहते हैं. शुरुआत में वे लोगों के खातों में कुछ पैसे डालते हैं ताकि उनका विश्वास जीत सकें. जब व्यक्ति पूरी तरह से उनके झांसे में आ जाता है और बड़ी रकम निवेश करता है, तो वे उसे ब्लॉक कर देते हैं या पैसा वापस नहीं करते.