झारखंड के जमशेदपुर के बहरागोड़ा की रहने वाली सहायक लोको पायलट रितिका तिर्की ने हाल ही में देश की प्रतिष्ठित वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की कमान संभाल कर इतिहास रच दिया. रितिका ने 15 सितंबर 2024 को टाटानगर से पटना तक इस ट्रेन को सफलतापूर्वक लेकर गईं और वापस भी लौटाईं. यह उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, क्योंकि वह सामान्यतः टाटानगर से मेमू पैसेंजर ट्रेनें और कभी-कभी मालगाड़ियों को चलाती रही हैं. यह पहली बार था जब उन्हें वंदे भारत जैसी तेज रफ्तार ट्रेन की जिम्मेदारी मिली, जिससे उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
महत्वपूर्ण अवसर और अभार
रितिका ने इस अद्वितीय अवसर के लिए प्रधानमंत्री, रेल मंत्री और रेलवे के अधिकारियों के प्रति अपना आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि महिलाओं को आज के समय में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं, और यह उनके लिए एक बड़ा अवसर है।. रितिका का मानना है कि वह इस जिम्मेदारी को पूरी मेहनत और समर्पण के साथ निभाएंगी. बोकारो के क्षेत्रीय रेल प्रबंधक विनित कुमार ने भी इस अवसर पर कहा कि भारतीय रेलवे की नीतियों के कारण आज महिलाएं भी वंदे भारत जैसी हाई-स्पीड ट्रेनों की पायलट बन रही हैं. उनका कहना था कि रेलवे में महिला और पुरुषों के बीच कोई भेदभाव नहीं है. रितिका तिर्की को वंदे भारत ट्रेन की जिम्मेदारी मिलने से यह सिद्ध हो गया है कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं.
ट्रेन के प्रमुख लोको पायलट का रितिका की तारीफ
वंदे भारत ट्रेन के प्रमुख लोको पायलट एसएस मुंडा ने भी रितिका की सराहना की. उनका कहना है कि रितिका ने ट्रेन की जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभाई और यह एक बड़ी सफलता है. रेलवे के अनुसार, महिलाओं के लिए विशेष रूप से ऐसी जिम्मेदारियां सौंपना इस दिशा में एक बड़ा कदम है.
रितिका की पृष्ठभूमि
रितिका तिर्की का मायका गुमला जिले में है. उनका पूरा परिवार रांची में रहता है, जहां रितिका ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. इसके बाद उन्होंने बीआईटी मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की. 2019 में उन्होंने भारतीय रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में अपनी नौकरी शुरू की. उनकी पहली पोस्टिंग धनबाद डिवीजन के चंद्रपुरा, बोकारो में हुई थी. बाद में उनकी शादी बहरगोड़ा में हुई और 2021 में उनका तबादला टाटानगर हो गया. रितिका के परिवार में शिक्षा और अनुशासन का विशेष महत्व रहा है. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से भारतीय रेलवे में अपना मुकाम बनाया और अब उन्हें वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेन की कमान संभालने का अवसर मिला है.
वंदे भारत ट्रेन महिलाओं के लिए अनुकूल
वंदे भारत ट्रेन अन्य इंजनों की तुलना में महिला पायलटों के लिए काफी अनुकूल मानी जाती है. ट्रेन के पायलट केबिन पूरी तरह से वातानुकूलित है, और इसमें शौचालय की भी समुचित व्यवस्था की गई है, जो इसे महिला पायलटों के लिए और भी सुविधाजनक बनाती है. रितिका का कहना है कि इस सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन को चलाने का अनुभव बहुत खास और अलग है. उन्होंने यह भी बताया कि वंदे भारत ट्रेन खासतौर पर महिलाओं और वृद्ध यात्रियों के लिए एक वरदान की तरह है, क्योंकि यह ट्रेन न केवल तेज गति से चलती है, बल्कि समय पर यात्रियों को उनके गंतव्य तक भी पहुंचाती है.
महिलाओं के लिए नए युग की शुरुआत
भारतीय रेलवे की नीतियों में किए गए बदलावों से महिलाओं को अब महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में शामिल किया जा रहा है. इससे महिलाओं के लिए एक नया युग शुरू हो रहा है, जहां उन्हें समान अवसर मिल रहे हैं. वंदे भारत जैसी ट्रेन की कमान संभालने वाली रितिका तिर्की इस बात का प्रतीक हैं कि महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं और उन्हें बराबरी के अधिकार मिल रहे हैं. रितिका के अनुभव से यह साबित होता है कि अगर महिलाओं को सही मौके दिए जाएं, तो वे किसी भी क्षेत्र में खुद को साबित कर सकती हैं. उनके इस उपलब्धि ने झारखंड और देश के अन्य हिस्सों में महिलाओं के लिए प्रेरणा का काम किया है. रेलवे की नीतियों और नए नियमों के तहत अब महिलाओं के लिए और भी अधिक अवसर बनाए जा रहे हैं.
रितिका की भविष्य की योजनाएं
रितिका तिर्की अब और भी बड़े अवसरों के लिए तैयार हैं. वह मानती हैं कि भारतीय रेलवे में महिलाओं को आगे बढ़ने के और भी मौके दिए जाएंगे. उनका सपना है कि वह भविष्य में और भी तेज रफ्तार वाली ट्रेनों को चलाएं और अपनी क्षमताओं को और भी बेहतर साबित करें. उनके इस सफर से न केवल उनके परिवार को, बल्कि पूरे राज्य को गर्व हो रहा है.