भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को खुली चेतावनी दी है कि वह संवेदनशील मुद्दों को तुष्टीकरण और वोट बैंक के चश्मे से देखने की गलती न करे. उन्होंने झारखंड सरकार पर धार्मिक और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के गंभीर आरोप लगाए हैं. शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने यह आरोप लगाया कि सरकार राम मंदिर के स्वरूप पर आधारित पंडाल को लेकर जानबूझकर तनाव पैदा कर रही है.
राम मंदिर पर बन रहे पंडाल पर सरकार को आपत्ति क्यों?
प्रतुल शाहदेव ने सरकार के विरोध को पूरी तरह अनुचित और अकारण बताया. उन्होंने कहा कि धुर्वा के पुराने विधानसभा मैदान में राम मंदिर के स्वरूप पर एक भव्य पंडाल बनाया जा रहा है, लेकिन सरकार इस पर आपत्ति जता रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर राम मंदिर के प्रतिरूप का पंडाल हिंदुस्तान में नहीं बनेगा, तो क्या पाकिस्तान में बनेगा? यह बयान देकर उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए और कहा कि यह मुद्दा धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है और इसे राजनीतिक तुष्टीकरण का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए. प्रतुल शाहदेव का आरोप है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ा रही है, जबकि इसे शांतिपूर्ण तरीके से निपटाया जा सकता था. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के स्वरूप पर आधारित पंडाल से किसी को भी खतरा नहीं है, और इसे हिंदुस्तान की संस्कृति का हिस्सा मानकर स्वीकार किया जाना चाहिए. उनका मानना है कि यह विवाद सरकार द्वारा एक साजिश के तहत खड़ा किया जा रहा है ताकि धार्मिक मुद्दों पर राजनीति की जा सके.
झामुमो पर तुष्टीकरण का आरोप
प्रतुल शाहदेव ने सीधे तौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को तुष्टीकरण की राजनीति करने का दोषी ठहराया. उनका कहना है कि झामुमो नेता धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को सिर्फ वोट बैंक के नजरिए से देखते हैं, और इसी वजह से वे संवेदनशील मामलों पर भी सच्चाई को अनदेखा कर देते हैं. उन्होंने कहा कि झामुमो सरकार सिर्फ अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए घुसपैठ के मुद्दे को नजरअंदाज कर रही है. शाहदेव ने कहा कि यदि झामुमो नेता केंद्र सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में दाखिल किए गए एफिडेविट को पढ़ें, तो उन्हें घुसपैठ के बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी. एफिडेविट में संथाल परगना के छह जिलों में घुसपैठ की समस्या का विस्तार से वर्णन किया गया है, जिसमें पाकुड़ और साहिबगंज के इलाकों में घुसपैठ की बात की गई है. उन्होंने दावा किया कि सीमावर्ती जिलों में बड़ी संख्या में मदरसों का निर्माण किया गया है, जो घुसपैठ की समस्या को और बढ़ा रहे हैं.
संथाल परगना में घुसपैठ की समस्या
शाहदेव ने कहा कि संथाल परगना के छह जिलों में घुसपैठ एक गंभीर समस्या बन चुकी है. उन्होंने आरोप लगाया कि झामुमो सरकार इस समस्या को नजरअंदाज कर रही है और वोट बैंक की राजनीति कर रही है. उन्होंने बताया कि पाकुड़ और साहिबगंज के सीमावर्ती इलाकों से बड़े पैमाने पर घुसपैठ हुई है. इन जिलों में घुसपैठियों के लिए मदरसे बनाए जा रहे हैं, जिससे इन क्षेत्रों की स्थिति और बिगड़ रही है. उन्होंने यह भी कहा कि घुसपैठियों की बढ़ती संख्या राज्य की सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान के लिए खतरा बनती जा रही है, लेकिन झारखंड सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने झामुमो पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, क्योंकि वह अपने वोट बैंक को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती.
केंद्र सरकार ने दी थी घुसपैठियों की सूची
प्रतुल शाहदेव ने इस बात का भी खुलासा किया कि केंद्र सरकार ने 2021 में झारखंड सरकार को दो बार पत्र भेजकर 203 घुसपैठियों की सूची सौंपी थी. इसके बाद, एक और पत्र में 145 घुसपैठियों की जानकारी दी गई थी. केंद्र ने राज्य सरकार से इन पर कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया था. लेकिन, राज्य सरकार ने इन सभी सूचनाओं को दबा कर रख लिया और कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. शाहदेव का आरोप है कि झामुमो सरकार इस मुद्दे पर आंखें मूंदे बैठी है और केंद्र द्वारा दी गई घुसपैठियों की सूची पर कोई भी कदम नहीं उठा रही है.
तुष्टीकरण की राजनीति पर भाजपा का कड़ा रुख
भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह झारखंड में तुष्टीकरण की राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेगी. प्रतुल शाहदेव ने झामुमो सरकार पर यह आरोप लगाया कि वह वोट बैंक की राजनीति के चलते राज्य के हितों से समझौता कर रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड में बढ़ते घुसपैठियों की संख्या और इसके चलते हो रही सांस्कृतिक अस्थिरता के लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है.
झामुमो की वोट बैंक की राजनीति पर हमला
भाजपा प्रवक्ता ने झामुमो सरकार को वोट बैंक की राजनीति पर घेरते हुए कहा कि सरकार घुसपैठियों की समस्या को जानबूझकर अनदेखा कर रही है. उन्होंने कहा कि झामुमो सिर्फ अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. शाहदेव का कहना है कि यदि सरकार समय रहते इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेगी, तो यह भविष्य में राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है.