PM मोदी के दौरे पर झामुमो का निशाना, चंपई सोरेन से सरना धर्म कोड की मांग…..

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावित दौरे के बहाने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को निशाने पर लिया है. झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुरुवार को कहा कि चंपई सोरेन पार्टी के प्रखर वक्ता रहे हैं और झामुमो के नीति-सिद्धांतों और झारखंडी हितों से जुड़े मुद्दों को हमेशा प्रमुखता से उठाते रहे हैं. लेकिन अब, भाजपा में शामिल होने के बाद, उनकी जिम्मेदारियां और भी बढ़ गई हैं.

चंपई सोरेन से विशेष मांग:

सुप्रियो भट्टाचार्य ने मांग की कि 15 सितंबर को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जमशेदपुर दौरे पर आएंगे, तब चंपई सोरेन को झारखंड के बकाया मुद्दों को उठाना चाहिए. उन्होंने विशेष रूप से सरना धर्म कोड की घोषणा कराने पर जोर दिया. सुप्रियो ने कहा कि इस दौरान मंच पर कई अन्य पूर्व मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे और यह उनकी भी जिम्मेदारी है कि वे प्रधानमंत्री से सरना धर्म कोड की घोषणा कराएं. इसके अतिरिक्त, भट्टाचार्य ने यह भी बताया कि 21 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री संथाल जा रहे हैं और 19 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी झारखंड दौरा निर्धारित है. उन्होंने तर्क दिया कि यदि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरना धर्म कोड की घोषणा करेंगे, तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उसे मंजूरी प्रदान कर सकती हैं.

झारखंड के प्रति केंद्र की उपेक्षा पर नाराजगी:

सुप्रियो भट्टाचार्य ने झारखंड के साथ केंद्र सरकार की उपेक्षा पर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि झारखंड देश को बहुत कुछ देता है, लेकिन बदले में राज्य और यहां के लोगों को कुछ भी नहीं मिलता. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तारीफ करते हुए कहा कि राज्यपाल रहते हुए उन्होंने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार द्वारा सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को वापस कर आदिवासी-मूलवासी समुदायों के हितों की रक्षा की थी.

भाजपा की मंशा पर सवाल:

झामुमो के महासचिव ने भाजपा की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में भाजपा की योजना सफल नहीं होगी. उन्होंने दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का सफाया हो जाएगा. भट्टाचार्य का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्य के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और भाजपा की नीतियों का कड़ा विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि झामुमो हमेशा से झारखंडियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ता आया है, और आगे भी इसी दिशा में काम करता रहेगा. उनका यह भी कहना था कि भाजपा में शामिल होकर चंपई सोरेन ने झारखंडी हितों की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी को बढ़ा लिया है, और अब उन्हें इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाना चाहिए.

झारखंड मुक्ति मोर्चा की रणनीति:

भट्टाचार्य ने यह भी बताया कि झामुमो ने राज्य के मुद्दों को लेकर एक ठोस रणनीति तैयार की है. पार्टी प्रधानमंत्री के दौरे को अवसर के रूप में देख रही है, जहां वह झारखंड के बकाया मुद्दों को उठाएगी और केंद्र सरकार पर दबाव बनाएगी. झामुमो का उद्देश्य है कि झारखंड को उसके अधिकार और पहचान मिल सके. पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह राज्य के आदिवासी-मूलवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएगी. पार्टी के अनुसार, राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग देश की प्रगति के लिए किया जाता है, लेकिन बदले में झारखंड को उचित सम्मान और सुविधाएं नहीं मिलतीं.

प्रधानमंत्री के दौरे से उम्मीदें:

झामुमो को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान झारखंड के लंबे समय से लंबित मांगों पर ध्यान दिया जाएगा. खासकर, सरना धर्म कोड की घोषणा झारखंडी समुदायों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. भट्टाचार्य ने चंपई सोरेन से अपील की कि वे भाजपा में रहकर भी झारखंडी मुद्दों को न भूलें और प्रधानमंत्री से इन मांगों की पूर्ति के लिए जोर डालें. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य की जनता अब समझ चुकी है कि भाजपा की मंशा क्या है और कैसे वह झारखंड के मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा को सबक सिखाएगी और झामुमो के नेतृत्व में एक बार फिर से राज्य में झारखंडी हितों की रक्षा होगी.

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