झारखंड की राजनीति में इन दिनों हंगामा मचा हुआ है. झारखंड सरकार की प्रधान सचिव वंदना दादेल द्वारा केंद्रीय चुनाव आयोग को लिखे गए पत्र ने भाजपा नेताओं शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जिसके बाद से राजनीतिक हलकों में विवाद बढ़ गया है. वंदना दादेल के इस पत्र में कहा गया है कि ये नेता झारखंड में सांप्रदायिक तनाव फैलाने और अधिकारियों को डराने का काम कर रहे हैं. इसे लेकर राज्य के अधिकारियों में भी चिंता की स्थिति बनी हुई है.
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा ने इसे लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला है. प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि राज्य में अभी चुनाव आचार संहिता लागू नहीं है, ऐसे में चुनाव आयोग से इस तरह की कार्रवाई की मांग करना गलत है. उन्होंने झारखंड सरकार पर अधिकारियों के राजनीतिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकारी अधिकारियों का दुरुपयोग है और सरकार अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है. सिन्हा ने कहा कि भाजपा पर सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप झूठे हैं और यह राज्य सरकार की नाकामी को छुपाने का एक तरीका है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भाजपा नेताओं के आरोपों को खारिज कर दिया है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा जब भी चुनाव हारने की स्थिति में होती है, तो वह पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन जैसे मुद्दों को उठाने लगती है. उन्होंने कहा कि राज्य में कोई भी ऐसा इलाका नहीं है जो सीधे बांग्लादेश की सीमा से जुड़ता हो. पांडेय ने भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया कि वे झूठी बातें फैलाकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ है, तो केंद्र सरकार क्या कर रही है? पांडेय ने इसे भाजपा की अफवाह की राजनीति करार दिया.
सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप
शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्वा सरमा पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोपों के बाद राजनीति और गरमा गई है. राज्य सरकार का कहना है कि दोनों नेता सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे राज्य का माहौल खराब हो सकता है. सरकार ने चुनाव आयोग से मांग की है कि इन नेताओं को राज्य में भड़काऊ बयान देने से रोका जाए.
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन सरकार राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर अधिकारियों का इस्तेमाल कर रही है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि यह राज्य सरकार की हताशा को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को आगे कर ऐसी कार्रवाई करना ब्यूरोक्रेसी का राजनीतिक दुरुपयोग है. भाजपा ने कहा कि राज्य में चुनाव नजदीक आते ही सरकार की घबराहट सामने आ रही है.
प्रधान सचिव के पत्र का महत्व
प्रधान सचिव वंदना दादेल का पत्र राजनीतिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें सीधे तौर पर राज्य के अधिकारियों के डर और उनके चरित्र हनन की बात की गई है. इस पत्र ने न सिर्फ भाजपा नेताओं को बल्कि पूरे राजनीतिक माहौल को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. भाजपा का कहना है कि इस तरह के पत्र राज्य सरकार के दबाव में लिखे जा रहे हैं, जिससे साफ पता चलता है कि सरकार किस तरह से प्रशासन का राजनीतिकरण कर रही है.
आगामी चुनाव और प्रधानमंत्री का दौरा
इस पूरे मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 सितंबर को झारखंड दौरा प्रस्तावित है. माना जा रहा है कि इस दौरे के पूर्व यह राजनीतिक विवाद और अधिक तूल पकड़ सकता है. भाजपा और हेमंत सोरेन सरकार के बीच बढ़ते इस तनाव को आगामी चुनाव के संदर्भ में भी देखा जा रहा है.