झारखंड में धान की खेती: 18 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य, अब तक 13.16 लाख हेक्टेयर में रोपनी पूरी…

झारखंड में इस साल धान की खेती के लिए 18 लाख हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें से अब तक 13.16 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी पूरी हो चुकी है. यह राज्य के कुल लक्ष्य का 73 प्रतिशत है, जो पिछले कुछ दिनों में हुई अच्छी बारिश के कारण संभव हो पाया है. राज्यभर में 10 दिनों के अंदर ही 6.28 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की गई है, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है.

जून और जुलाई की स्थिति

इस साल की शुरुआत में, जून और जुलाई के महीने किसानों के लिए बेहद चिंता का विषय थे. उस समय, झारखंड के विभिन्न जिलों में केवल 99 हजार हेक्टेयर भूमि पर ही धान की खेती हो पाई थी. लगातार बारिश न होने के कारण किसान धान की रोपनी नहीं कर पा रहे थे. लेकिन, 18 जुलाई से 4 अगस्त तक के समय में राज्य में 6 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की गई, जिससे किसानों की चिंता काफी हद तक कम हो गई. अगस्त के पहले 10 दिनों में ही 6.28 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती हो चुकी है.

सही समय पर हुई खेती

धान की रोपनी का सही समय 15 अगस्त तक माना जाता है, और इस अवधि में राज्य के अधिकांश किसान अपने खेतों में धान की रोपनी कर चुके हैं. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा के अनुसार, 15 अगस्त तक झारखंड में धान की रोपनी का 73 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हो गया है. जून से आधी जुलाई तक मात्र 5.50 प्रतिशत भूमि पर ही रोपनी हो पाई थी, लेकिन अगस्त के पहले सप्ताह में यह प्रतिशत बढ़कर 38.20 हो गया और 15 अगस्त तक 73 प्रतिशत तक पहुंच गया.

प्रमंडलवार रोपनी की स्थिति

राज्य के विभिन्न प्रमंडलों में धान की रोपनी की स्थिति अलग-अलग रही है. दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में 5,67,000 हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य था, जिसमें से 4,49,964 हेक्टेयर में रोपनी पूरी हो चुकी है. इसी प्रकार कोल्हान प्रमंडल में 3,96,000 हेक्टेयर में से 2,65,829 हेक्टेयर में, संताल प्रमंडल में 3,64,500 हेक्टेयर में से 2,56,414 हेक्टेयर में, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में 3,36,500 हेक्टेयर में से 2,48,061 हेक्टेयर में और पलामू प्रमंडल में 1,36,000 हेक्टेयर में से 95,640 हेक्टेयर में धान की रोपनी हो चुकी है.

अगले सप्ताह तक जारी रहेगी रोपनी

कांके के एक किसान दिलीप महतो ने बताया कि 15 अगस्त तक धान की रोपनी का सही समय होता है, लेकिन कुछ बड़े किसान अभी भी रोपनी जारी रखेंगे. बड़े किसानों को शुरू में मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ा, क्योंकि छोटे किसान पहले अपने खेतों में धान लगाना पसंद करते हैं. अब जब मजदूर आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं, तो बड़े किसान अपने बचे हुए खेतों में भी धान की रोपनी कर रहे हैं.

सीधी बुआई की स्थिति

अब तक 13.16 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती हो चुकी है, जिसमें से 11.62 लाख हेक्टेयर भूमि में रोपनी और 1.53 लाख हेक्टेयर भूमि में सीधी बुआई की गई है. कोल्हान प्रमंडल में 1.14 लाख हेक्टेयर भूमि पर सीधी बुआई से धान की खेती की गई है, जिसमें से पश्चिमी सिंहभूम में सबसे ज्यादा 1,02,385 हेक्टेयर भूमि पर धान की सीधी बुआई हुई है. इसके बाद दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में 39.64 हेक्टेयर भूमि पर सीधी बुआई से धान की खेती हुई है.

जिलावार धान की खेती

जिलों के आधार पर देखें तो रामगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 92 प्रतिशत, गुमला में 86 प्रतिशत और रांची में 79 प्रतिशत भूमि में धान की रोपनी हो चुकी है. वहीं, पलामू जिले में केवल 53 प्रतिशत, सरायकेला में 52 प्रतिशत, बोकारो में 47 प्रतिशत और पूर्वी सिंहभूम में 44 प्रतिशत भूमि में ही धान की रोपनी हुई है. इन जिलों में अभी भी बड़े पैमाने पर भूमि खाली पड़ी है, जो रोपनी के लिए तैयार है.

राज्य के किसानों में खुशी का माहौल

राज्य में अच्छी बारिश होने के कारण किसानों में खुशी का माहौल है. पिछले सालों की तुलना में इस साल धान की रोपनी का प्रतिशत ज्यादा है, जिससे किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद है. कृषि विभाग का कहना है कि अगर इसी तरह से बारिश होती रही और किसानों को समय पर मजदूर मिलते रहे, तो राज्य में धान की रोपनी का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करना संभव हो सकता है.

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