Headlines

रांची में निर्माण कार्य ठप, सरिया के पुराने रेट पर लौटने के बावजूद मांग में गिरावट….

झारखंड की राजधानी रांची और आसपास के इलाकों में बालू की कमी के चलते निर्माण कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं. स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि सीमेंट की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद बाजार में सरिया और अन्य निर्माण सामग्री की मांग नहीं बढ़ रही है.

बालू की कमी और असर

बालू की विकट कमी ने निर्माण क्षेत्र को हिला कर रख दिया है. बिना बालू के कोई भी निर्माण कार्य संभव नहीं है और इसका सीधा असर रांची सहित राज्य के अन्य शहरों पर पड़ा है. इस कारण से, सीमेंट की कीमतें घटकर 100 रुपये तक पहुंच गई हैं, लेकिन निर्माण गतिविधियों में कोई तेजी नहीं देखी जा रही है.

सरिया की कीमतें और बाजार स्थिति

सरिया, जो कि निर्माण कार्य के लिए अनिवार्य सामग्री है, की कीमतें सात साल पहले के स्तर पर आ गई हैं. पहले इसकी कीमत 6,000 रुपये प्रति टन थी, लेकिन अब यह घटकर 5,000 रुपये प्रति टन हो गई है. बावजूद इसके, बाजार में इसकी मांग बेहद कम है.

रोजगार पर असर

इस स्थिति ने मजदूरों की स्थिति को और भी कठिन बना दिया है. एक अनुमान के मुताबिक, रांची में एक लाख से अधिक मजदूरों को इस समस्या के कारण रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. सीमेंट, सरिया, टाइल्स, मार्बल और सेंटरिंग आइटम जैसे सामानों की बिक्री में भारी गिरावट आई है, जिससे व्यापारियों के साथ-साथ श्रमिकों के परिवारों की आजीविका भी खतरे में पड़ गई है.

व्यापारियों की राय

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि स्थिति बेहद खराब हो चुकी है और इस समय कोई निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना नहीं दिख रही है. एक व्यापारी ने कहा, “सरिया की कीमतों में गिरावट के बावजूद लोग निर्माण कार्य नहीं करवा रहे हैं. बालू की उपलब्धता न होने के कारण पूरी निर्माण उद्योग ठप पड़ गया है”.

आगे की चुनौतियां

रांची के व्यापारियों ने सरकार से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर बालू की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जाती है, तो न केवल निर्माण उद्योग, बल्कि इससे जुड़े अन्य उद्योगों पर भी गंभीर असर पड़ेगा. इसके अलावा, रोजगार के अवसरों की भी कमी हो जाएगी, जो कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है.

सरिया की मांग में कमी

सरिया की मांग में कमी का मुख्य कारण बाजार में अनिश्चितता और बालू की अनुपलब्धता है. जब तक बालू उपलब्ध नहीं होगा, तब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सकते, और इसी कारण से, सरिया की मांग में भी गिरावट दर्ज की गई है. सात साल पहले की कीमतों पर लौटने के बावजूद सरिया की मांग में वृद्धि नहीं हो रही है.

आपूर्ति श्रृंखला पर असर

पूरे सप्लाई चेन पर इसका गहरा असर पड़ा है. टाइल्स, मार्बल और सेंटरिंग आइटम की मांग में भी कमी आई है, जिससे ये उद्योग भी प्रभावित हो रहे हैं. सीमेंट की फैक्ट्रियों में उत्पादन भी घट गया है, जिससे कंपनियों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

सरकार से अपेक्षाएं

अब सभी की नजरें सरकार की ओर हैं. व्यापारियों और श्रमिकों का मानना है कि अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो स्थिति और भी खराब हो सकती है. बालू की आपूर्ति बढ़ाने और निर्माण सामग्री की मांग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को जल्द ही उपाय करने होंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *