रांची: प्याज और आलू के दामों में तेजी, खुदरा बाजार में प्याज की कीमत ने मारा अर्धशतक..

रांची के खुदरा बाजार में हाल के दिनों में प्याज और आलू की कीमतों में अचानक वृद्धि देखी जा रही है. पिछले कुछ हफ्तों में, खासकर प्याज के दामों में इतना इजाफा हुआ है कि यह आम जनता के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है. प्याज, जो पहले 28 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा था, अब 35 से 40 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. वहीं राजधानी के खुदरा बाजार में यही प्याज 50 रूपए किलो के भाव में बेचा जा रहा है, जिससे आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

प्याज और आलू की बढ़ती कीमतें
खुदरा बाजार में प्याज और आलू की कीमतों में यह उछाल मुख्यतः महाराष्ट्र से आने वाले सप्लाई में कमी के कारण हुआ है. वहां की फसल खराब होने के कारण, झारखंड में प्याज की आवक में कमी आई है, जिससे मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन पैदा हो गया है. इसके परिणामस्वरूप, बाजार में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं.

सप्लाई चेन में आई रुकावट
रांची के सब्जी बाजार में एक विक्रेता ने बताया कि पहले जहां रोजाना 20 से 25 ट्रक प्याज और आलू पहुंचते थे, वहीं अब यह संख्या घटकर केवल 10 से 12 ट्रक रह गई है. इसका असर सीधा-सीधा बाजार की कीमतों पर पड़ा है. सप्लाई चेन में आई इस रुकावट के चलते आम जनता को प्याज और आलू की बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि प्याज की कीमतों में इस वृद्धि का मुख्य कारण महाराष्ट्र में बारिश और फसल खराब होने के कारण उत्पादन में कमी है. इसके अलावा, प्याज का निर्यात भी प्रभावित हुआ है, जिससे घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता कम हो गई है.

महंगाई का असर आम जनता पर
महंगाई के इस दौर में जहां आम आदमी पहले से ही अन्य वस्तुओं के बढ़ते दामों से परेशान था, अब प्याज और आलू की कीमतों में इस बढ़ोतरी ने उनकी चिंताओं को और बढ़ा दिया है. घरों में बजट को संतुलित करना अब और भी मुश्किल हो गया है. कई लोग शिकायत कर रहे हैं कि सब्जियों की कीमतें बढ़ने के कारण उन्हें अपने खाने-पीने की आदतों में बदलाव करना पड़ रहा है.

सरकार की प्रतिक्रिया
इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया है. अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्याज और आलू की कीमतों को नियंत्रित करने के उपाय करें. सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो वे अन्य राज्यों से भी प्याज और आलू मंगाने की व्यवस्था करेंगे ताकि बाजार में स्थिरता लाई जा सके.

व्यापारियों का कहना
सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि वे खुद इस स्थिति से चिंतित हैं. उन्होंने बताया कि ग्राहक बढ़ी हुई कीमतों से नाराज हैं और उनकी बिक्री पर भी इसका असर पड़ा है. ग्राहकों की संख्या में गिरावट आई है, क्योंकि लोग अब केवल आवश्यक मात्रा में ही सब्जियां खरीद रहे हैं.

अन्य सब्जियों पर भी असर
प्याज और आलू की कीमतों में आई इस तेजी का असर अन्य सब्जियों पर भी पड़ा है. जहां एक ओर इन दोनों सब्जियों के दाम बढ़े हैं, वहीं दूसरी ओर टमाटर, धनिया, और हरी मिर्च जैसी सब्जियों की कीमतों में भी इजाफा देखा गया है. इसका कारण यह है कि जब भी किसी एक या दो प्रमुख सब्जियों की कीमतें बढ़ती हैं, तो अन्य सब्जियों की मांग में भी तेजी आ जाती है, जिससे उनकी कीमतें भी ऊपर जाती हैं.

संभावित समाधान
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार जल्दी से जल्दी सप्लाई चेन में सुधार कर पाती है और अन्य राज्यों से आयात की व्यवस्था करती है, तो स्थिति में सुधार आ सकता है. इसके अलावा, सरकार को प्याज और आलू के निर्यात पर रोक लगाने पर भी विचार करना चाहिए, ताकि घरेलू बाजार में इनकी उपलब्धता बढ़ सके.

उपभोक्ताओं की स्थिति
इस पूरे परिदृश्य में सबसे अधिक परेशानी का सामना उपभोक्ताओं को करना पड़ रहा है. एक उपभोक्ता ने बताया कि पहले जहां वे हफ्तेभर के लिए प्याज और आलू का स्टॉक कर लेते थे, अब उन्हें रोजाना ताजा सब्जियां खरीदनी पड़ रही हैं क्योंकि दाम हर दिन बदल रहे हैं.

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