नेतरहाट स्थित नाशपाती के बागान की नीलामी इस वर्ष 50 लाख रुपये में की गई. यह नीलामी कृषि विभाग द्वारा आयोजित की गई थी. नाशपाती का यह बागान हमेशा से ही अपनी गुणवत्ता और उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा है. यहां करीब पांच लाख क्विंटल के आस-पास नाशपाती होने का अनुमान है, जिसे इस बार 10 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा गया है. पिछले साल की तुलना में इस बार नीलामी की कीमत में वृद्धि दर्ज की गई है.
बागान की स्थिति और उत्पादन
इस वर्ष की नीलामी में पैदावार में वृद्धि और फल की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए किया गया. बागान की देखभाल और फल की पैदावार पर कृषि विभाग का विशेष ध्यान रहता है. इस वजह से नाशपाती की गुणवत्ता और उत्पादन में हर साल सुधार हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि नाशपाती के बागान का भविष्य उज्ज्वल है और इससे किसानों को काफी लाभ हो सकता है.
पिछले वर्षों की नीलामी
नेतरहाट के इस बागान की नीलामी हर साल होती है और इसमें होने वाली आमदनी का उपयोग बागान की देखभाल और सुधार के लिए किया जाता है. 2014-15 में इस बागान की बोली 4.6 लाख रुपये लगी थी. इसके बाद हर साल इसमें वृद्धि होती गई. 2017-18 में बागान की बोली 27.6 लाख रुपये तक पहुंच गई थी. वहीं, 2020-21 में यह बोली 44.20 लाख रुपये तक पहुंच गई थी.
फल टूटने की समस्या
इस वर्ष बागान में फल टूट कर गिरने की समस्या सामने आई है. पेड़ों की डालियां नाशपाती के वजन के कारण टूट गई हैं. इसके कारण नाशपाती की फसल पर असर पड़ा है. इस समस्या को दूर करने के लिए विशेषज्ञों ने सुझाव दिए हैं और उपाय किए जा रहे हैं.
नाशपाती की गुणवत्ता और बाजार में मांग
नेतरहाट की नाशपाती अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए जानी जाती है. इसका स्वाद और ताजगी इसे बाजार में लोकप्रिय बनाते हैं. नाशपाती की मांग न केवल बिहार और झारखंड में बल्कि महाराष्ट्र और दिल्ली में भी है.
बागान का इतिहास और महत्वपूर्णता
नेतरहाट के नाशपाती बागान की शुरुआत 1982-83 में की गई थी. इसका उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली नाशपाती उपलब्ध कराना और उनके आर्थिक स्थिति में सुधार करना था. 1999 में नाशपाती की प्रजातियों को बढ़ावा देने के लिए खास योजनाएं बनाई गईं. इसका परिणाम यह हुआ कि नेतरहाट की नाशपाती देशभर में अपनी पहचान बना चुकी है.