झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से खनन राजस्व मद के तहत 1.50 लाख करोड़ रुपये की मांग की है. इस मुद्दे पर कोयला मंत्रालय ने संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ चर्चा शुरू कर दी है. केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि झारखंड की मांग पर जल्द निर्णय लिया जाएगा. गुरुवार को मंत्री ने झरिया फायर एरिया का निरीक्षण भी किया और वहां की स्थिति का जायजा लिया.
झारखंड की मांग:
झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से खनन राजस्व के तहत 1.50 लाख करोड़ रुपये की मांग की है. इस मुद्दे पर विचार के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ चर्चा शुरू कर दी है. यह राशि खनन से होने वाले राजस्व में हिस्सेदारी और राज्य के विकास के लिए मांगी गई है.
कोयला मंत्री का दौरा:
गुरुवार को केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने झरिया फायर एरिया का दौरा किया और वहां की स्थिति का जायजा लिया. झरिया में आग की स्थिति खतरनाक है, और इससे प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए एक संशोधित मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर यह दौरा किया गया है और जल्द ही पुनर्वास की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा.
पुनर्वास और पुनर्स्थापन:
झरिया की आग से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए बेहतर पैकेज तैयार किया गया है. यह योजना अब कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजी जाएगी और केंद्र से मंजूरी मिलते ही इसे लागू किया जाएगा. झरिया फायर एरिया में आग के कारण लोगों का जीवन बहुत प्रभावित हुआ है और उनका पुनर्वास सरकार की प्राथमिकता है.
पर्यावरण संरक्षण:
कोयला मंत्री ने बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) से राष्ट्रव्यापी पौधरोपण अभियान की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए पौधरोपण आवश्यक है. इस अभियान का उद्देश्य खनन क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है.
वित्तीय मांग का औचित्य:
झारखंड सरकार का मानना है कि खनन क्षेत्र से होने वाले राजस्व में राज्य का बड़ा हिस्सा होना चाहिए, क्योंकि खनन से राज्य के पर्यावरण और स्थानीय समुदायों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. राज्य सरकार की इस मांग को पूरा करने से झारखंड के विकास कार्यों में तेजी आएगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
अगले कदम:
इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच विचार-विमर्श जारी है. कोयला मंत्रालय जल्द ही इस पर अपना निर्णय लेगा. यदि झारखंड की मांग को स्वीकार किया जाता है, तो इससे राज्य में विकास परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता मिल सकती है.