टाटा स्टील अपनी क्षमता को दोगुना करने पर काम कर रही है. कंपनी के सभी प्लांटों का विस्तार किया जायेगा. इसके लिए कंपनी 16 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी. इस राशि का 75 प्रतिशत भाग टाटा कंपनी भारत में खर्च करेगी. बाकी राशि का इस्तेमाल यूनाइटेड किंगडम में चल रहे डिकार्बोनाइजेशन प्रोजेक्ट पर इस्तेमाल किया जाएगा. टाटा स्टील का मानना है कि स्टील के डिमांड में करीब 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने जा रही है जिसे लेकर टाटा स्टील अपनी क्षमता दोगुना करने जा रही है.
प्लांट विस्तारीकरण की पूरी जानकारी..
कलिंगानगर प्लांट की क्षमता 3 मिलियन टन से 8 मिलियन टन तक की जा रही है. इसका विस्तार 16 मिलियन टन किया जाना है. हालंकि जमशेदपुर प्लांट में सीधे तौर पर निवेश नहीं होगा, लेकिन डाउनस्ट्रीम कंपनियों में कंपनी निवेश कर रही है. इसके अलावा ओडिशा के नीलाचल इस्पात की क्षमता को 4.5 मिलियन टन से 5 मिलियन टन में तब्दील किया जा रहा है. इसे बढ़ाकर 10 मिलियन टन किया जाना तय हुआ है. चंडीगढ़ में न्यू इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस की स्थापना हो रही है, वहीं ओडिशा के मेरामंडली प्लांट की क्षमता 5 से बढ़ाकर 7 मिलियन टन की जायेगी. बाद में इसे और ज्यादा बढ़ाकर 10 मिलियन टन तक कर दिया जाएगा. टाटा स्टील की ओर से विस्तारीकरण के लिए जमीन उपलब्ध करा दी गयी है.
निवेश बढ़कर टाटा स्टील करेगा प्लांटों में विस्तार..
टाटा स्टील अपने यूके प्लांट में एक ब्लास्ट फर्नेस को बंद करने जा रही है. वहीं यहां के कोक प्लांट में भी शटडाउन लिया गया है. और वहां भी डिकार्बोनाइजेशन की दिशा में निवेश हो रहा है. टाटा स्टील द्वारा निवेशकों के लिए तैयार किये गये प्रेजेंटेशन में इसकी पूरी जानकारी दी गयी है. टाटा स्टील के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ फाइनांसियल ऑफिसर कौशिक चटर्जी ने अपने शेयर होल्डर्स को बताया है कि टाटा स्टील निवेश बढ़ाकर अपने प्लांटों का विस्तार करने जा रही है.
टाटा स्टील के एमडी ने कहा..
वित्तीय वर्ष 2023-24 की विपरीत परिस्थितियों में भी लगातार बेहतर काम किया जा रहा है. दरअसल, देश में स्टील की डिमांड बढ़ने वाली है. इसलिए भारत में स्टील की क्षमता को दोगुना बढ़ाना होगा.