करोड़ों के कर्ज पर दब चुका है झारखंड, RBI ने जताई चिंता..

Jharkhand: झारखंड पर मंडरा रहा करोड़ों का कर्ज। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से राज्यों की वित्तीय स्थिति को लेकर जारी एक रिपोर्ट में झारखंड देश के बड़े कर्जदार राज्यों में शामिल है। खनिज संपदा से संपन्न समृद्धि राज्य आज करोड़ों के कर्ज में डूब चुका है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से राज्यों की वित्तीय स्थिति को लेकर जारी रिपोर्ट के अनुसार झारखंड देश के बड़े कर्जदार राज्यों में एक है पिछले वित्तीय वर्ष तक यह कर्ज का बोझ 38.7 फीसदी तक बढ़ गया है।

7 राज्यों के हालत है बहुत खराब….
उत्तर प्रदेश पंजाब राजस्थान केरल पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश झारखंड आदि राज्यों में खर्च को विभिन्न स्रोतों से कर्ज लेकर बढ़ाया जाता रहा। जिससे प्रदेशों की आर्थिक हालात लगातार खराब होती जा रही है। आरबीआई से जारी किए गए रिपोर्ट में राज्यों को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आमदनी का एक बड़ा हिस्सा कर्ज के एवज में ब्याज चुकाने में खर्च हो जा रहा है।

केंद्र सरकार पर 36 हजार करोड़ रुपये बकाया …
झारखंड सरकार इस समय झारखंड के जरूरतमंद लोगों को पेट्रोल पर भी नकद अनुदान राशि दे रही है। इसके अलावा भी राज्य सरकार कई ओर लोक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं।साथ ही हाल ही में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की है। संभव है कि आगामी 15 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसे लागू भी कर दें। जिसके लिए हेमंत सरकार पिछले कई वर्षों से केंद्र सरकार से झारखंड का बकाया एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये मांग रही है। मुख्यमंत्री का कहना है अगर केंद्र सरकार यह रुपये लौटा दे तो झारखंड के लोगों की परेशानी दूर हो जाएगी।

झारखंड पर है, 96,406 करोड़ रुपए का कर्ज…
झारखंड का कर्ज 96,406 करोड़ रुपये है। इसमें 66136 करोड़ रुपये बैंकों से नकद कर्ज लिए गए हैं, जबकि 28 हजार करोड़ से अधिक कर्ज पीए खातों में लिए गए हैं। यह आंकड़ा महालेखाकार की ओर से जारी 2020 की रिपोर्ट में दर्ज है। रिपोर्ट के अनुसार झारखंड समेत पंजाब, राजस्थान, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है।

सरकार अब बाहर से नही लेगी ऋण…
वित्त मंत्री डा रामेश्वर उरांव ने इस साल बजट प्रस्ताव पेश करते हुए दावा किया है कि सरकार अब बाहर से नही लेगी ऋण। सरकार अब संसाधनों और राजस्व वसूली को ज्यादा बढ़ाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। जिससे सरकार को ब्याज की राशि नहीं देनी पड़े।

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