रांची : राजधानी रांची में आज भगवान जगन्नाथ रथयात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह और उमंग का माहौल रहा। राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी आज रथयात्रा के मौके पर भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना की। पारंपरिक परिधान पहनकर दोनों ने धुर्वा स्थित रथयात्रा मेले में हिस्सा लिया और पूजा की। मौके पर राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि विधिवत मंत्रोच्चार के साथ आज प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के चरणों में पूजा-अर्चना करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान जगन्नाथ सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें।
वहीं इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने महाप्रभु जगन्नाथ से राज्यवासियों की सुख,समृद्धि और निरोगी जीवन की कामना करते हुए सभी को रथ यात्रा पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना किया कि प्रभु का आशीर्वाद सभी पर बना रहे तथा झारखंड विकास की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करे। मौके पर पंडित राजेश्वर एवं मदन ने विधिवत पूजा का कार्य संपन्न कराया।
इस अवसर पर सांसद संजय सेठ, पूर्व सांसद सुबोध कांत सहाय, विधायक नवीन जायसवाल, विधायक राजेश कच्छप, जगन्नाथ मंदिर के प्रथम सेवक सुधांशु नाथ शाहदेव सहित अन्य गणमान्य एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। बता दें की कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो साल से रथयात्रा मेले का आयोजन बंद था। इस वजह से इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भी मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
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शाम को रथ पर सवार होकर भगवन जगन्नाथ अपने मुख्य मन्दिर से मौसीबाड़ी के लिए रवाना हुए। श्रद्धालुओं की भीड़ अपने हाथों से रथ खींचकर मौसीबाड़ी तक ले गयी। वहां से अब 10 जुलाई को उन्हें वापस मुख्य मन्दिर लाया जाएगा। मंदिर के आसपास झूले और कई दुकाने लगायी गयी हैं। गौरतलब है की पुरी की तर्ज पर राजधानी रांची में होनेवाली रथयात्रा में इसबार पूजा की सबसे बड़ी खासियत नया रथ है। इस रथ का निर्माण भुवनेश्वर से आये कारीगरों ने किया है। दरअसल 2012 में बना पुराना रथ खराब हो गया थाl साथ ही उसकी लकडियां भी डैमेज हो गयी थीl इसलिए इसबार नए रथ का निर्माण कराया गया हैl
लगभग 45 दिनों की मेहनत से भुवनेश्वर से आये कारीगरों ने नए रथ का निर्माण किया हैl जिसकी लंबाई 26 फीट और चौड़ाई 32 फीट हैl इसी रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ मौसीबाड़ी गएl रथ के निर्माण में सखुआ की लकड़ी के अलावे धातु के रूप में लोहे और पीतल का उपयोग किया गया हैl इतना ही नहीं रथ के साथ लकड़ी के बने घोड़े और सारथी को भी जोड़ा गया है।