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अब झारखंड सरकार करेगी मड़ुआ की बिक्री और ब्रांडिंग, जेटीडीएस शुरू करेगी मड़ुआ मिशन..

मड़ुआ एक पारंपरिक-पौष्टिक अनाज जिसे झारखंड की पहचान माना, उसे दोबारा प्रचलन में लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। राज्य सरकार द्वारा झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (जेटीडीएस) के माध्यम से इसकी बिक्री की जाएगी।

आने वाले दिनों में सरकारी स्तर पर मड़ुआ की पैकिंग की जाएगी। इसके साथ ही किसान समूह को कंपनी के रूप में स्थापित कर मड़ुआ से बनी सामग्री जैसे कि आटा, बिस्कुट, केक, की बिक्री के लिए प्रेरित किया जाएगा। जेटीडीएस इस कार्य योजना को पूरा करने के लिए 14 ट्राइबल सब-प्लान जिलों के 52 ब्लॉक में मड़ुआ मिशन की शुरुआत करने जा रहा है। इसमें 360 करोड़ रुपये की लागत से पांच वर्षों के लिए योजना तैयार की जा रही है। योजना के प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए अधिकारियों के पास भी भेजा जा चुका है।

उधर, ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी ने भी मड़ुआ के आटा की बिक्री शुरू कर दी है। कंपनी द्वारा 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से इसकी बिक्री की जा रही है। जेटीडीएस की इस योजना के तहत किसानों को मड़ुआ उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। किसानों को मड़ुवा पिसाई से लेकर रोपाई तक की मशीन भी उपलब्ध करायी जाएगी। ढाई लाख परिवारों को इस मड़ुआ मिशन में शामिल किए जाने की योजना है। पहले चरण में ऊपरी जमीन के 30 डिसमिल में मड़ुआ लगाया जाएगा। इसके साथ ही बाजरा, कोदो, कुटकी फसल पर भी काम किया जाएगा।

दरअसल, हरित क्रांति के समय में झारखंड में मड़ुआ उत्पादन के प्रचलन में कमी आई थी, चूंकि इस क्रांति में गेंहू और चावल को ही प्रोत्साहित किया गया था। कृषि विभाग के 2012-13 के आकड़ों के मुताबिक झारखंड में 5 लाख हेक्टेयर में साढ़े 27 हजार टन मड़ुआ का उत्पादन किया जा चुका है।

जेटीडीएस बताता है कि मड़ुआ की शुरुआत 87 सौ वर्ष पहले चाइना में हुई थी। अफ्रिका से होते हुए ये भारत पहुंचा था। वर्तमान में इसकी खेती झारखंड के अलावा बिहार, ओडिशा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी होती है। राजस्थान का मड़ुआ गुणवत्ता में सबसे बढ़िया है, जबकि झारखंड में ही इसकी ज्यादा खेती होती है।

मड़ुआ में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइवर, कैल्सियम, आयरन, जिंक, बीटा केरोटिन समेत कई अन्य तरह के गुण होते हैं। पारंपरिक खाद्य विशेषज्ञ अरुणा तिर्की ने बताया कि यह ऐसी खाद्य सामग्री है, जो बढ़ते हुए बच्चे के अलावा महिलाओं के लिए काफी लाभदायक होती है।

जेटीडीएस के परियोजना निदेशक भीष्म कुमार ने बताया कि मड़ुआ को प्रोत्साहित करने के लिए मड़ुआ मिशन की शुरुआत करने जा हैं। इसको लेकर सरकार को भी प्रस्ताव भेजा गया है। आने वाले दिनों में इससे उत्पादित सामग्री की पैकिंग और बिक्री की भी व्यवस्था की जाएगी।

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