बेहतर काम और कमाई के झांसे में आकर कर्नाटक गए गुमला के 5 मजदूर डेढ़ महीने तक वहां बंधक बनकर तकलीफे झेलते रहे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक जैसे ही इन मजदूरों के कर्नाटक के होजपेट में फंसे होने की जानकारी मिली तो प्रशासनिक अमलों में हलचल मच गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंत्री सत्यानंद भोक्ता को इन मजदूरों की सकुशल घर वापसी सुनिश्चित कराने को कहा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हस्तक्षेप और मंत्री सत्यानंद भोक्ता के निर्देश पर माइग्रेंट कंट्रोल रूम ने स्थानीय प्रशासन से संपर्क स्थापित कर इन प्रवासी श्रामिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की।
इसके बाद सभी मजदूरों को राज्य सरकार की पहल के बाद शुक्रवार को कर्नाटक से छुड़ा कर रांची लाया गया। रांची पहुंचने पर इन सभी श्रामिकों की कोरोना जांच करवाई गई। इसके बाद सभी गुमला जिला प्रशासन की मदद से उनके पैतृक गांव भेजा गया। छुड़ाए गए श्रामिकों में गुमला के कोयंजरा गांव के प्रकाश महतो, पालकोट निवासी संजू महतो, मुरकुंडा के सचिन गोप, राहुल गोप एवं मंगरा खड़िया शामिल हैं।
18-18 घंटे काम, पेटभर भोजन भी नहीं..
कर्नाटक के होजपेट से सकुशल रांची पहुंचे मजदूर प्रकाश महतो ने कहा कि एक परिचित के झांसे में बेहतर काम की उम्मीद से हम कर्नाटक गए थे लेकिन वहां हमसे 18-18 घंटे काम करवाया जाता था। डेढ़ महीने से वेतन भी नहीं मिला। खाना भी नहीं मिलता था। ऐसे में काम करने से मना करने पर पिटाई भी की जाती थी। हम सभी को सुरक्षित वापस लाने के लिए हम सरकार का बहुत बहुत धन्यवाद करते हैं।
एक अन्य श्रमिक ने कहा कि हमें वहां 10-10 घंटे तक पानी में घुसकर मछली निकालना होता था। फिर निकाली गई अन्य मछलियों को छांटना होता था। इस वजह से ठंड का भी सामना करना पड़ता था। एक वक्त तो ऐसा आ गया था जब हमें लगने लगा था कि शायद अब कभी घर न लौट पाएं, लेकिन सरकार ने हमें बचाया. हम सरकार को बहुत धन्यवाद देते हैं।