800 मेगावाट का पतरातू पावर प्लांट तैयार, जल्द होगा उत्पादन शुरू

रांची: झारखंड के ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। राज्य का सबसे बड़ा पावर प्लांट, 800 मेगावाट क्षमता वाला पतरातू पावर प्लांट, पूरी तरह तैयार हो चुका है। मंगलवार को इसे ग्रिड से सफलतापूर्वक सिंक्रोनाइज किया गया और 100 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर टेस्टिंग की गई, जो पूरी तरह सफल रही। हालांकि, अभी ग्रिड में पूरी क्षमता से बिजली आपूर्ति के लिए आवश्यक ट्रांसमिशन लाइन तैयार नहीं है, जिसके कारण इसे पूर्ण क्षमता पर नहीं चलाया जा सका।

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दो से तीन माह में पूरी क्षमता से होगा उत्पादन

ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण में दो से तीन माह का समय लगेगा, जिसके बाद यह प्लांट पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन कर सकेगा। यह परियोजना झारखंड को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पतरातू में कुल 2400 मेगावाट क्षमता का पावर प्लांट तैयार किया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 12 हजार करोड़ रुपये है। पहले चरण में 800 मेगावाट क्षमता का प्लांट बनकर तैयार हो चुका है, जिस पर लगभग 4000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

राज्य को मिलेगी सस्ती बिजली, होगी आत्मनिर्भरता

झारखंड को प्रतिदिन 2,000 से 3,000 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है, और यह मांग हर साल 5-6% तक बढ़ रही है। फिलहाल, राज्य में लगभग 600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जबकि शेष बिजली अन्य राज्यों से खरीदी जाती है। एनटीपीसी द्वारा उत्पादन शुरू होने के बाद राज्य को सस्ती बिजली मिलेगी और झारखंड ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

सरकार की प्राथमिकता: जल्द से जल्द बिजली उत्पादन शुरू हो

ऊर्जा सचिव अविनाश कुमार ने बताया कि यह राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा, “सरकार चाहती है कि पतरातू पावर प्लांट से जल्द से जल्द उत्पादन शुरू हो। ग्रिड तक बिजली पहुंचाने के लिए ट्रांसमिशन लाइन का कार्य प्रगति पर है और यह अन्य आवश्यक तैयारियों के साथ पूरा हो जाएगा।”

परियोजना में देरी, लेकिन अब उत्पादन के लिए तैयार

गौरतलब है कि पतरातू पावर प्लांट परियोजना पर काम मार्च 2018 में शुरू हुआ था और इसे 2022 तक चालू किया जाना था। हालांकि, विभिन्न कारणों से इसमें देरी हुई, लेकिन अब यह प्लांट उत्पादन के लिए पूरी तरह तैयार है। इस पावर प्लांट के शुरू होने से झारखंड को न केवल सस्ती और स्थायी बिजली मिलेगी, बल्कि यह औद्योगिक और आर्थिक विकास के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।

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