झारखंड में 78,599 म्यूटेशन मामले लंबित, सुओ मोटो योजना भी नाकाम….

झारखंड में जमीन और फ्लैट का दाखिल खारिज (म्यूटेशन) एक बड़ी समस्या बन गया है. जमीन की रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन के लिए लोगों को अंचल कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, फरवरी 2024 में म्यूटेशन के 74,090 मामले लंबित थे, जो 17 दिसंबर 2024 तक बढ़कर 78,599 हो गए. यानी 10 महीनों में 4509 नए मामले लंबित हो गए.

सुओ मोटो म्यूटेशन योजना का हाल

लोगों की इस परेशानी को देखते हुए सरकार ने 1 दिसंबर 2022 को सुओ मोटो म्यूटेशन योजना शुरू की. इसके तहत रजिस्ट्री कार्यालय से म्यूटेशन का ऑनलाइन आवेदन स्वतः अंचल कार्यालय भेजा जाता है. सीओ को आवेदन मिलने के 30 दिन के भीतर म्यूटेशन करना होता है. अगर किसी प्रकार की आपत्ति होती है, तो सीओ संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी कर आवेदन रद्द कर सकता है. हालांकि, यह व्यवस्था भी सफल नहीं हो पाई और म्यूटेशन के लंबित मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई. अब इस मुद्दे पर चर्चा के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ विभाग की समीक्षा बैठक करेंगे.

म्यूटेशन में देरी के प्रमुख कारण

समय पर म्यूटेशन न होने के पीछे तीन मुख्य कारण हैं:

• रिकॉर्ड अपडेट न होना.

• खतियान और पंजी-2 वेबसाइट पर पूरी तरह से अपडेट नहीं हैं.

• अंचल कार्यालयों और रिकॉर्ड रूम में रखे दस्तावेज फटे हुए हैं या उनमें गलतियां हैं.

• एनआईसी द्वारा इन रिकॉर्ड्स को अपडेट नहीं किया जाता.

• ऑनलाइन व्यवस्था की समस्याएं: ऑनलाइन म्यूटेशन प्रक्रिया में तकनीकी समस्याएं आती हैं. अक्सर ऑनलाइन पोर्टल ठप हो जाता है.

• घूसखोरी और आदिवासी जमीन के मामले: म्यूटेशन में घूसखोरी एक बड़ी समस्या है. जो लोग रिश्वत नहीं देते, उन्हें महीनों तक इंतजार करना पड़ता है.

सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी जमीन का म्यूटेशन जटिल हो जाता है. वर्षों पहले गैर-आदिवासियों द्वारा खरीदी गई जमीन पर अब भी आदिवासी जमीन का रिकॉर्ड दिखता है, जिससे म्यूटेशन फंस जाता है.

म्यूटेशन प्रक्रिया के नियम

म्यूटेशन के नियम के अनुसार, आवेदन मिलने के 30 दिन के भीतर प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए. यदि कोई आपत्ति हो तो 90 दिनों में इसे हल करना आवश्यक है. इसके बाद भी मामला लंबित रहने पर संबंधित अंचल कर्मियों को शोकॉज किया जाना चाहिए.

लंबित मामलों की स्थिति

झारखंड में कई अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन के मामले लंबे समय से लंबित हैं. सबसे अधिक लंबित मामले नामकुम अंचल में हैं, जहां 1995 मामले 90 दिन से अधिक समय से रुके हुए हैं.

अन्य प्रमुख क्षेत्र:

• कांके: 3574 मामले

• पाकुड़: 3194 मामले

• हजारीबाग सदर: 2107 मामले

• रातू: 1585 मामले

धनबाद, रांची और अन्य क्षेत्रों में भी कई मामले लंबे समय से लंबित हैं.

सरकार का रुख

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा है कि वह अंचल अधिकारी, एसी, डीसी और प्रमंडलीय आयुक्त स्तर के अधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगे. बैठक में जमीन से जुड़ी सभी समस्याओं की गहराई से जांच की जाएगी. मंत्री ने कहा, “समीक्षा करने दें, एक्शन भी होगा”.

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