देवघर : भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री पर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह कार्य करने के आरोप लगते रहे हैं। मधुपुर विधानसभा उपचुनाव 2021 के दाैरान भारत निर्वाचन आयोग ने उन्हें उपायुक्त पद से हटा दिया था। बाद में चुनाव में झामुमो की जीत के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुनः उन्हें देवघर का डीसी बना दिया। अब एक बार फिर से भजंत्री विवादो में हैं। उनके निर्देश पर गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर देवघर जिले के विभिन्न थानों में पांच प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस पर सांसद निशिकांत दुबे ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा है-भजंत्री को झामुमो ज्वाइन कर लेना चाहिए। वह देवघर डीसी कम झामुमो के कार्यकर्ता की तरह ज्यादा व्यवहार कर रहे हैं।
देवघर जिला जनसंपर्क पदाधिकारी के बयान पर दर्ज हुई प्राथमिकी
गोड्डा के सांसद डा. निशिकांत दुबे पर मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के छह माह बाद देवघर के नगर, मधुपुर, देवीपुर और चितरा थाने में सोमवार को अलग-अलग मामले दर्ज हुए हैं। उन पर पांच मुकदमे दर्ज हुए। नगर थाने में देवघऱ जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रवि कुमार के बयान पर दर्ज मामले में कहा गया कि सांसद ने 11 अप्रैल को ट्वीट कर देवघर उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को झामुमो कार्यकर्ता की तरह मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में लगे होने का आरोप लगाया था। इस पोस्ट से उन्होंने उपायुक्त पर अनैतिक दबाव बनाने की कोशिश की थी। इसके अलावा समाचार पत्रों में आठ अप्रैल को विज्ञापन प्रकाशित हुआ था। इसके निचले भाग में वर्णित जगह के नाम को प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए था। सरकारी आदेश का उल्लंघन करने और उपायुक्त के सम्मान को ठेस पहुंचाने का नगर थाने में मुकदमा किया गया।
मधुपुर बीडीओ और चितरा बीडीओ के बयान पर भी दर्ज हुई FIR
मधुपुर थाने में बीडीओ राजीव रंजन सिंह के बयान पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ है। चितरा थाने में सांसद के 18 मार्च को किए गए ट्वीट पर मामला दर्ज किया गया है। चितरा थाने में मामला सारठ की बीडीओ पल्लवी सिन्हा के बयान पर दर्ज हुआ है। देवीपुर थाने में बीडीओ अभय कुमार ने आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज कराया है। देवीपुर थाने में दो मामले दर्ज हुए हैं। इतने दिन बाद सांसद पर एक साथ कई मामले दर्ज होने से कई तरह की चर्चाओं को भी बल मिला है।
किस हैसियत से डीसी ने प्राथमिकी कराई : निशिकांत
सांसद डा. निशिकांत दुबे ने कहा है कि अप्रैल में मधुपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ था। उपायुक्त ने तब चुनाव आयोग को रिपोर्ट दी थी। भारत निर्वाचन आयोग ने उस पर रोक लगाई थी। उपायुक्त की ऐसी हरकतों पर ही उनको चुनाव से अलग कर दिया गया था। ऐसे में आज वे किस हैसियत से विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज कराए हैं। आयोग ने उन पर प्राथमिकी दर्ज करने से मना कर दिया था। सवाल है कि आचार संहिता मामले में आयोग ऊपर है या उपायुक्त। दूसरी बात यह कि प्राथमिकी में जिस धारा 171 की चर्चा की गई है वह तब लगती है जब आदर्श आचार संहिता लागू हो। आज तो आचार संहिता ही लागू नहीं है। तब प्राथमिकी का आधार क्या है। उपायुक्त तो बाल सुलभ हरकत करते हैं। इससे जनता का मनोरंजन होता है। हम उनकी बात दूध भात की तरह लेते हैं।
निशिकांत पर FIR के खिलाफ बीजेपी आयी एक्शन में
वहीं गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे पर एफआईआर के खिलाफ बीजेपी चुनाव आयोग पहुंची। प्रदेश महामंत्री डॉ प्रदीप वर्मा के नेतृत्व में पहुंची टीम ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रविकुमार से मुलाकात कर इस संबंध में ज्ञापन सौंपा। डॉ प्रदीप वर्मा ने कहा कि देवघर जिला प्रशासन राज्य के सत्ताधारी गठबंधन दलों के फ्रंटलाइन वर्कर की तरह काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि सांसद के खिलाफ देवघर जिला प्रशासन की की गयी कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि आज न कोई आचार संहिता लागू है, न कोई चुनाव हो रहा है। फिर भी महीनों पुराने ट्वीट को आधार बनाकर एफआईआर कराना एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को जानबूझकर परेशान व अपमानित करने की मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आज देवघर में वही पदाधिकारी उपायुक्त हैं, जिसके खिलाफ चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए उन्हें चुनाव कार्य से मुक्त किया था। इस संदर्भ में आज महीनों बाद एफआईआर दर्ज करायी जा रही है, उसका निष्पादन चुनाव आयोग ने पहले ही कर दिया है, फिर उसपर कार्रवाई कराना दुर्भावना से प्रेरित है।