रांची : 6 साल से रांची विश्वविद्यालय के मोरहाबादी स्थित पीजी कैंपस को वाईफाई युक्त बनाने की तैयारी चल रही है। सेटअप भी तैयार है और हर विभाग में वाईफाई के उपकरण भी लगाए जा चुके हैं। यहां तक कि इस पर राज्य सरकार और रांची विश्वविद्यालय के चार करोड रुपए तक खर्च हो चुके हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि आज तक रांची विश्वविद्यालय का एक भी विद्यार्थी इस सुविधा का उपयोग नहीं कर पाया है। करीब 10 हजार विद्यार्थी तो वाईफाई की आस में क्लास भी पास होकर बाहर निकल गए। लेकिन पिछले 3 साल से वाईफाई का सेटअप खराब पड़ा हुआ है, फिर भी सेवा प्रदाता की ओर से इंटरनेट की सुविधा बहाल है।
इसके एवज में सरकार की ओर से हर साल लाखों रुपए का भुगतान भी किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार रांची विश्वविद्यालय कैंपस के 22 पीजी विभाग और इसके अंतर्गत चलने वाले व्यावसायिक पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों के लिए राज्य सरकार की ओर से वाईफाई का सेटअप 2015 से लगाने का काम शुरू हो गया था। लेकिन 2017 के बाद से यह सिस्टम पूरी तरह ठप हो गया है। गौरतलब है कि रांची में बीएसएनल इंटरनेट सेवा प्रदाता है जो हर महीने रांची विश्वविद्यालय को 1 गीगाबाइट डाटा उपलब्ध कराता है। इसकी एवज में राज्य सरकार की ओर से हर साल करीब 30 लाख रूपये तक का भुगतान किया जाता है। फिलहाल जो डाटा रांची विश्वविद्यालय को मिलता है उसका इस्तेमाल यहां के विभाग और मुख्यालय के कर्मचारी ही करते हैं।
बीएसएनएल के अधिकारी आर॰आर तिवारी कहते हैं कि संस्थान द्वारा बीएसएनल को अग्रिम भुगतान किया जाता है। इधर रांची विश्वविद्यालय की ओर से मार्च 2021 में पीजी के लगभग 19 विभागों में वाईफाई का सेटअप शुरू कर दिया गया है। दावा किया जा रहा कि अब जो भी विद्यार्थी पीजी कैंपस में आएंगे तो उन्हें लॉगइन आईडी और पासवर्ड उपलब्ध करा दिया जाएगा। जिससे वह अपने मोबाइल फोन, टैब और लैपटॉप में वाईफाई का इस्तेमाल कर पाएंगे। इससे शोध विद्यार्थीयों को भी लाभ मिलेगा। पुस्तकालय में आने वाले विद्यार्थी भी वाईफाई का इस्तेमाल कर सकेंगे।
रांची विश्वविद्यालय के पीजी विभाग में 3 सालों में वाईफाई का राउटर लगा दिए गए हैं। परिक्षण भी की गई लेकिन इसके बाद पूरा प्रणाली ही ठप पड़ गया। विद्यार्थीयों का काम उनके मोबाइल से चल जाता था। वहीं पीजी के कुछ विभागों ने खुद का वाईफाई का सेटअप लगाया है।