बीआइटी मेसरा के 31वें दीक्षांत समारोह में 35 गोल्ड मेडेलिस्ट में 17 छात्राएं..

बीआईटी मेसरा का 31वां कॉन्वोकेशन (दीक्षांत समारोह) बुधवार को वर्चुअल मोड पर हुआ। यह दूसरा साल था, जब कोरोना को देखते हुए समारोह वर्चुअल मोड परहुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता झारखंड के राज्यपाल रमेश बैैस ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर, भारत सरकार पद्मश्री डॉ. के. विजय राघवन, चेयरमैन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स सीके बीरला, संस्थान के कुलपति डॉ. इंद्रनील मन्ना आदि मौजूद थे। कॉन्वोकेशन सेरेमनी में देश-दुनिया के 20 हजार से ज्यादा लोग जुड़े। मौके पर वर्ष 2020 व 2021 में पासआउट हुए 6555 स्टूडेंट्स के बीच डिग्री बांटी गई। इसमें 109 पीएचडी, 1271 पीजी, 4682 यूजी, 493 डिप्लोमा शामिल रहे। वर्ष 2020 में ग्रेजुएट हुए विभिन्न विभागों के 17 स्टूडेंट्स व वर्ष 2021 में ग्रेजुएट हुए विभिन्न विभागों के 18 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। यानी 35 गोल्डमेडलिस्ट में 17 छात्राएं शामिल रहीं।

चुनौतियों का हल करते हुए सफलता के शिखर पर चढ़ें छात्र-छात्राएं : राज्यपाल
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि कोरोना महामारी ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को काफी प्रभावित किया है। पर, बीआईटी जैसे संस्थानों ने नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षा व ऑनलाइन मूल्यांकन किया। छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक कार्यक्रम के अंतिम कुछ महीने सामान्य नहीं थे। इस संस्थान के पूर्व छात्रों ने देश के विकास में अपना अहम योगदान दिया है। कई छात्र विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुके हैं। मुझे विश्वास है कि यहां के वर्तमान छात्र भी इस गौरवमयी विरासत को जारी रखेंगे। आज के वैश्विक परिवेश में युवाओं को अनेक स्वणिम अवसर प्रदान किए हैं, किंतु चुनौतियां भी कम नहीं है। पर, इन चुनौतियों का समाधान करते हुए जीवन में सफलता के शिखर पर चढ़ना है।

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि केंद्र सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर पद्मश्री डॉ के विजय राघवन भी ऑनलाइन जुड़े. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी आस-पास की जरूरत को समझकर, उसे तकनीक से हल करने की कोशिश करें. औद्योगिकीकरण के जमाने में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहल करना जरूरी है, में हो रहे जैविक बदलाव से नयी समस्या आपदा का रूप ले रही है. कहा कि डिग्री हासिल करनेवाले विद्यार्थियों को भविष्य में दो राह मिलेगी. पहला नौकरी हासिल कर सामान्य जीवन जीना और दूसरा तकनीक से दुनिया को नया बदलाव देना. आने वाला समय कई अवसर से भरा होगा, सही समय पर उचित निर्णय लेने की जरूरत है. उन्होंने विद्यार्थियों को दुबई व जापान जैसे देशों में खेती-किसानी में इस्तेमाल हो रही तकनीक का उदाहरण देकर इस दिशा में तकनीक विकसित करने की प्रेरणा दी.

वहीं बीआइटी मेसरा के वीसी डॉ इंद्रनील मन्ना ने बताया कि पीओजी की 68वीं बैठक के बाद संस्थान के विभागों का नाम बदला गया है. सत्र 2021 से बायो इंजीनियरिंग अब ‘डिपार्टमेंट ऑफ बाबो इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी’ और प्रोडक्शन इंजीनियरिंग विभाग डिपार्टमेंट ऑफ प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्री इंजीनियरिंग’ नाम से जाना जायेगा, शैक्षणिक विकास को दिशा में 200 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी कर रही है. नयी एकेडमिक बिल्डिंग, 550 विद्यार्थियों की क्षमता का हॉस्टल तैयार होगा. नये सत्र से 59 नये सहायक प्रोफेसर संस्था से जुड़ेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×