झारखंड के चंद्रपुरा और कोडरमा में विद्युत उत्पादन को सुदृढ़ करने के लिए डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) द्वारा बड़े पैमाने पर नई इकाइयों की स्थापना की जा रही है। डीवीसी के चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन में 800-800 मेगावाट की दो नई यूनिट लगाई जाएंगी, वहीं कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन में भी 800-800 मेगावाट की दो यूनिट की स्थापना की जाएगी। कोडरमा में इस परियोजना के दूसरे चरण की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है और अगले दो से तीन वर्षों में इसके पूर्ण होने का लक्ष्य रखा गया है।
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अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल इकाई की स्थापना
सीटीपीएस में अत्याधुनिक तकनीक से लैस अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल इकाई स्थापित की जा रही है, जिससे बिजली उत्पादन अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल होगा। इस परियोजना के लिए केंद्रीय विद्युत, आवासन एवं कार्य मंत्री ने सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह परियोजना कोल इंडिया के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से संचालित की जाएगी, लेकिन इसका संपूर्ण प्रबंधन डीवीसी के पास रहेगा। इस परियोजना पर अनुमानित 16,4257.7 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
झारखंड और बंगाल में डीवीसी की कुल स्थापित क्षमता
वर्तमान में डीवीसी के अंतर्गत झारखंड और पश्चिम बंगाल में कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 6687.2 मेगावाट है। डीवीसी विभिन्न थर्मल और हाइडल पावर स्टेशनों से विद्युत उत्पादन कर रही है, जिनमें प्रमुख हैं:
– बोकारो थर्मल पावर स्टेशन – 500 मेगावाट
– कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन (केटीपीएस) – 1000 मेगावाट
– चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन (सीटीपीएस) – 500 मेगावाट
– पंचेत हाइडल स्टेशन – 80 मेगावाट
– तिलैया हाइडल स्टेशन – 4 मेगावाट
सीटीपीएस में नई इकाई से बढ़ेगा उत्पादन
वर्तमान में सीटीपीएस में कुल आठ यूनिट हैं, लेकिन इनमें से छह को निष्क्रिय कर दिया गया है। फिलहाल, केवल दो यूनिट (7 और 8), प्रत्येक 250 मेगावाट की क्षमता वाली, सक्रिय हैं और कुल 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही हैं। अब बंद पड़ी पुरानी इकाइयों के स्थान पर 800-800 मेगावाट की दो नई अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट स्थापित की जाएंगी। इससे बिजली उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और झारखंड एवं आसपास के राज्यों में ऊर्जा आपूर्ति को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
कोडरमा में भी होगा उत्पादन विस्तार
कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन (केटीपीएस) वर्तमान में 500-500 मेगावाट की दो यूनिट संचालित कर रहा है, जिससे कुल 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। अब यहां भी दो नई 800-800 मेगावाट की यूनिट स्थापित की जा रही हैं, जिससे क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
इस परियोजना के पूरा होने के बाद डीवीसी की कुल उत्पादन क्षमता में भारी वृद्धि होगी, जिससे झारखंड और बिहार समेत कई अन्य राज्यों में विद्युत आपूर्ति बेहतर हो सकेगी। इससे औद्योगिक विकास को भी गति मिलेगी और ऊर्जा संकट की समस्या का समाधान होगा।