प्रोजेक्ट इंपैक्ट के तहत झारखंड में सितंबर और अक्टूबर माह के दौरान 2,862 सरकारी विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाएगा. इस निरीक्षण में 1,159 प्लस टू उच्च विद्यालय और 1,703 उच्च विद्यालय शामिल होंगे. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने इस निरीक्षण के लिए राज्य स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया है. राज्य स्तरीय टीम के साथ-साथ जिला स्तर के पदाधिकारी भी विद्यालयों के निरीक्षण में सहयोग करेंगे. शिक्षा परियोजना परिषद ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं.
निरीक्षण के प्रमुख उद्देश्य
निरीक्षण का उद्देश्य विद्यालयों में प्रोजेक्ट रेल, प्रोजेक्ट इम्पैक्ट, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रयास और बाल अधिकार जैसी महत्वपूर्ण विषयों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करना है. निरीक्षण के दौरान राज्य स्तरीय टीम पूर्व में जीरो ड्रॉपआउट के संबंध में दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत किए गए कार्यों की भी समीक्षा करेगी.
समीक्षा के प्रमुख बिंदु
निरीक्षण के दौरान टीम स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, पीटीएम (पैरेंट-टीचर मीटिंग), गुरु गोष्ठी, पाठ्यचर्या और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों से संबंधित एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के अनुपालन की समीक्षा करेगी. साथ ही, आंगनबाड़ी से प्राथमिक विद्यालय, प्राथमिक से उच्च प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक से माध्यमिक विद्यालय और माध्यमिक से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तक शत प्रतिशत ट्रांजिशन सुनिश्चित करते हुए शून्य ड्रॉपआउट के लक्ष्य को भी परखा जाएगा.
निरीक्षण में भागीदारी
निरीक्षण के दौरान संबंधित जिलों के अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी, क्षेत्रीय शिक्षा पदाधिकारी, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, फील्ड मैनेजर, सॉफ्टवेयर ट्रेनर, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड साधन सेवी और संकुल साधन सेवी भी टीम के साथ विद्यालयों का भ्रमण करेंगे.
पहले चरण में मिली थी लापरवाही
इससे पहले भी विद्यालयों की जांच की गई थी, जिसमें कई विद्यालयों में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित पदाधिकारियों, कर्मियों और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. इस बार की जांच में भी यदि लापरवाही पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
भविष्य की योजना
जांच के पहले चरण के पूरा होने के बाद दूसरे चरण की भी योजना बनाई जाएगी. इस क्रम में सभी टीमों को आदेश दिया गया है कि वे निरीक्षण के दौरान विद्यालयों की समस्याओं को चिन्हित करें और त्वरित समाधान के लिए सिफारिशें प्रस्तुत करें. इसका उद्देश्य राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता और अनुशासन को बढ़ाना है.