स्वर्णरेखा नदी पर 21 शिवलिंग: नागवंशी राजाओं की विरासत और मान्यताएं…

रांची के चुटिया इलाके में बहने वाली स्वर्णरेखा नदी की चट्टानों पर एक अनोखी धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर छिपी हुई है. यहां पर 21 शिवलिंगों की स्थापना की गई है, जो नागवंशी राजाओं की सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि का प्रतीक हैं. इन शिवलिंगों के अस्तित्व और उनकी स्थापना की कहानी बहुत ही दिलचस्प और धार्मिक महत्व से भरी हुई है.

शिवलिंगों की स्थापना और मान्यता

स्वर्णरेखा नदी के किनारे पर स्थित इन 21 शिवलिंगों की स्थापना लगभग 400 साल पहले नागवंशी राजाओं ने कराई थी. इस क्षेत्र के निवासी गौतम देब के अनुसार, उस समय स्वर्णरेखा नदी बहुत ही निर्मल और पवित्र हुआ करती थी. नागवंशी राजाओं ने इन शिवलिंगों की स्थापना अपनी रानियों के लिए की थी. उनका मानना था कि इन शिवलिंगों की पूजा से रानियों की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं. नदी में स्नान करने के बाद रानियां इन शिवलिंगों की पूजा करती थीं. यह धार्मिक आस्थाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और रानियों का विश्वास था कि इन शिवलिंगों पर जलाभिषेक से उनके सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. समय के साथ इन शिवलिंगों की मान्यता भी बढ़ी, और स्थानीय लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल बन गया.

वर्तमान स्थिति और समस्याएं

हालांकि, वर्तमान समय में स्वर्णरेखा नदी की स्थिति काफी खराब हो चुकी है. प्रदूषण के कारण नदी का जल गुणवत्ता deteriorate हो चुका है. यह ऐतिहासिक स्थल और इसके आसपास का वातावरण अपनी प्राचीन पवित्रता को खो चुका है. नदी के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है ताकि इस धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके.

कार्तिक पूर्णिमा पर मेला

स्वर्णरेखा नदी पर स्थित इन शिवलिंगों की पूजा और उनका महत्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से बढ़ जाता है. इस दिन यहां एक बड़ा मेला लगता है जिसमें हजारों श्रद्धालु और भक्त आते हैं. यह मेला धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है.

श्रावणी मेला का उद्घाटन

इस बीच, झारखंड के देवघर में 21 जुलाई से श्रावणी मेला का आयोजन शुरू हो गया है. इस वर्ष मेला का उद्घाटन झारखंड सरकार के पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर और कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने संयुक्त रूप से किया. दोनों मंत्रियों ने इस वर्ष की मेला व्यवस्था की निगरानी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा की जा रही है. मंत्रियों ने बताया कि इस वर्ष श्रावणी मेला में लगभग 60 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. यह मेला सावन माह की शुरुआत और समापन दोनों ही सोमवार को हो रहा है. विद्वानों के अनुसार, यह दुर्लभ संयोग 72 वर्षों बाद आया है, जो इस बार के मेला को और भी विशेष बना रहा है.

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