झारखंड के नागरिकों के लिए बड़ी खुशखबरी है. राज्य सरकार ने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए 200 यूनिट तक की बिजली मुफ्त देने का निर्णय लिया है. यह फैसला 28 जून को हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया. बता दें कि यह योजना राज्य के मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित होगी और इससे करीब 41.4 लाख परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा.
योजना के लाभार्थी
झारखंड सरकार की इस योजना का लाभ उन घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा जिनका बिजली बिल प्रति महीने 200 यूनिट तक होता है. वहीं वर्तमान में घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलती है. नई योजना के तहत, जिन उपभोक्ताओं का बिल 200 यूनिट तक आता है, उन्हें कोई भुगतान नहीं करना पड़ेगा. हालांकि, अगर किसी उपभोक्ता का बिजली बिल 200 यूनिट से ज्यादा आता है, तो उन्हें पूरा बिल चुकाना होगा. उदाहरण के तौर पर, अगर किसी उपभोक्ता का बिजली बिल 220 यूनिट आता है, तो उन्हें पूरे 220 यूनिट का भुगतान करना पड़ेगा. इस योजना का लाभ केवल घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा, कमर्शियल उपभोक्ताओं को नहीं.
मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए राहत
यह योजना झारखंड के मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित होगी. अभी जिन शहरी घरेलू उपभोक्ताओं का बिल 125 यूनिट से ज्यादा आता है, उन्हें 6.65 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले उपभोक्ताओं को 125 यूनिट से ज्यादा उपयोग करने पर 6.30 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता है. अब इस सीमा को बढ़ाकर 200 यूनिट कर देने से मध्यम वर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी. झारखंड सरकार के इस निर्णय से हर महीने करीब 21.7 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा.
चुनाव से पहले सरकार का मास्टर स्ट्रोक
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले इस योजना को चंपाई सोरेन सरकार के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है. इससे पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने भी मुफ्त बिजली देकर सत्ता में वापसी की थी. झारखंड सरकार भी इसी रणनीति को अपनाते हुए मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत देने का प्रयास कर रही है. विधानसभा चुनाव में अब करीब चार महीने का समय बचा है, और इस निर्णय से सरकार को बड़ा फायदा मिल सकता है.
राज्य सरकार की कोशिशें
झारखंड सरकार ने इस योजना के जरिए यह संदेश दिया है कि वह अपने नागरिकों के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. मध्यम वर्गीय परिवारों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उन्हें राहत प्रदान करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है. इससे न केवल बिजली के बिल का बोझ कम होगा, बल्कि जनता का भरोसा भी मजबूत होगा.
आर्थिक प्रबंधन
झारखंड सरकार के इस निर्णय से हर महीने करीब 21.7 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा. हालांकि, सरकार का मानना है कि इस निवेश से उन्हें चुनाव में बड़ा फायदा मिलेगा. इस योजना के लिए सरकार ने वित्तीय प्रबंधन की उचित व्यवस्था की है ताकि राज्य की आर्थिक स्थिति पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े.