झारखंड में स्थानीय भाषाओं के 200 शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। खुद सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर इसकी जानकारी सोमवार को दी है। विभिन्न महाविद्यालयों में संथाली, हो, कुरमाली, खोरठा, मुण्डारी आदि भाषाओं पर 200 से अधिक पदों पर शीघ्र नियुक्ति होगी। ऐसा तब हुआ जब सरकार की ओर से तृतीय और चतुर्थ वर्ग की सरकारी भर्तियों में स्थानीय भाषाओं को अनिवार्य कर दिया है। इस पूरे मामले पर ट्वीट करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा सिर्फ यही उद्देश्य नहीं है कि केवल सरकारी नौकरियां में ही झारखंड की समृद्ध स्थानीय भाषा को प्राथमिकता देना, बल्कि इससे संबंधित पाठ्यक्रम को भी राह देकर सशक्त करना है।
मेरा उद्देश्य सिर्फ़ सरकारी नौकरियां में ही झारखण्ड की समृद्ध स्थानीय भाषा को प्राथमिकता देना नहीं है, बल्कि इससे जुड़े पाठ्यक्रम को भी दिशा देकर सशक्त करना है।
विभिन्न महाविद्यालयों में संथाली, हो, कुरमाली, खोरठा, मुण्डारी आदि भाषाओं पर 200 से अधिक पदों पर शीघ्र नियुक्ति होगी। pic.twitter.com/GlWi7LolD4— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 23, 2021
दरअसल राज्य की विभिन्न यूनिवर्सिटी एवं कालेजों में वर्तमान समय में स्थानीय भाषाओं का अध्ययन एवं अध्यापन कार्य क्षेत्रीय एवं जनजातिय भाषा विभाग के अंतर्गत हो रहा है। पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की तरफ से सभी यूनिवर्सिटी को कहा गया कि वह अलग अलग जनजातिय भाषाओं के लिए अलग अलग विभाग स्थापित करने का प्रस्ताव दें। इसके तहत कालेजों से लेकर विवि तक में विभिन्न भाषाओं के नए विभाग की स्थापना का प्रस्ताव यूनिवर्सिटी की तरफ से झारखंड सरकार के उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग को भेजा गया। इसमें कालेजों में जनजातिय भाषाओं के नए विभाग खोलने से लेकर यूनिवर्सिटी स्तर पर स्नातकोत्तर विभाग की स्थापना का प्रस्ताव दिया गया। विवि को अपने पोषक क्षेत्र में बोली जाने वाली जनजातिय भाषाओं के आधार पर ही विषय का चुनाव करने के लिए कहा गया।