गुमला: गुमला के 12 मजदूरों को तमिलनाडु से मुक्त कराया गया। जिसके बाद सभी मजदूर शनिवार को झारखंड आएंगे। इस बात की जानकारी श्रम विभाग और नियंत्रण कक्ष की ओर से दी गई। ये सारे ही मजदूर गुमला भरनो के हैं। ये सभी मजदूर इस साल अप्रैल से तमिलनाडु में फंसे हुए थे और सभी को बंधुआ मजदूर की तरह काम कराया जा रहा था। सभी तमिलनाडु के थूथूकुड़ी में फंसे थे। वे वहां जनैफा इंडिया नामक कंपनी में काम करने गये थे। जिसके बाद 12 जुलाई को मजदूरों ने श्रम नियंत्रण कक्ष से संपर्क किया। इसमें इन मजदूरों के फंसे होने की जानकारी सामने आई।
नियंत्रण कक्ष ने जानकारी गुमला श्रम अधीक्षक को दी। जिसके बाद उन्होंने तमिलनाडु में संपर्क साधा और बुधवार को विषेश दल कंपनी भ्रमण के लिए भेजा गया। तमिलनाडु के अधिकारियों ने मामले को सही पाया और सभी 12 मजदूरों को अपनी सुरक्षा घेरे में कंपनी से बाहर निकाला। तमिलनाडु प्रशासन की ओर से मजदूरों को बकाया वेतन भुगतान भी कराया जाएगा। शनिवार को मजदूर स्पेशल ट्रेन से वापस अपने घर आएंगे।
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने जानकारी दी गयी कि मजदूरों के साथ मारपीट भी की गई है। कंपनी संचालक और ठेकेदार द्वारा श्रमिकों से 12-12 घंटे काम कराया गया। ऐसे में एसटी-एससी अत्याचार अधिनियम के तहत लोगों पर कार्रवाई की जा रही। जनैफा इंडिया नामक कंपनी मछली पाउडर बनाती है। यहां सभी मजदूर मछली अनलोड करने का काम करते थे। अप्रैल के बाद मजदूरों को वेतन भी नहीं दिया गया। साथ ही उनके साथ मारपीट कर और धमकी दी गई। जिससे मजदूर परेशान थे। फंसने वालों गुमला के मजदूरों के नाम हैं- विकास उरांव, सोमरा उरांव, संजय लोहरा, नीरज उरांव, संजय उरांव, सुक्कु मुंडा, रोहित उरांव, बिरसा मुंडा, मुन्ना उरांव, बुधुराम, कुलदीप गोप, सरधूम उरांव। इसके अलावा दुमका के 32 मजदूरों की वापसी गुरुवार 15 जुलाई को होगी। सभी केरल में फंसे थे। मामले की जानकारी मंत्री चंपई सोरेन के ट्वीट के जरिए दी थी।