भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि झारखंड के 10 जिले जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से निबटने के मामले में रेड जोन में हैं। इन जिलों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, और यहां जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाव के लिए आवश्यक सुविधाओं की भारी कमी है।
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झारखंड की स्थिति
भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और इससे निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में झारखंड की स्थिति सबसे खराब पाई गई। झारखंड के बाद मिजोरम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्य भी जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने वाले राज्यों में शामिल हैं।
मुख्य जोखिम वाले जिले
इस अध्ययन के तहत झारखंड के दो जिले, साहिबगंज और गिरिडीह, जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को झेलने के मामले में शीर्ष 50 जिलों में शामिल किए गए हैं। साहिबगंज 16वें स्थान पर है, जबकि गिरिडीह 49वें स्थान पर है। साहिबगंज जिले में वर्षा आधारित खेती, कम उद्यान क्षेत्र और वन क्षेत्र की कमी जैसे कारक इसे संवेदनशील बनाते हैं। वहीं, गिरिडीह में कम भूमि वाले किसान, कम उद्यान क्षेत्र और सड़क घनत्व की कमी इसे जोखिम में डाल रही है।
संवेदनशील और अति संवेदनशील जिलों की सूची
अति संवेदनशील जिलों में साहिबगंज, पाकुड़, चतरा, गढ़वा, पलामू, गिरिडीह, हजारीबाग, बोकारो, खूंटी और गोड्डा शामिल हैं। इसके अलावा लातेहार, देवघर, सरायकेला-खरसांवा, सिमडेगा, धनबाद, जामताड़ा, पूर्वी सिंहभूम, रांची, कोडरमा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, और दुमका जैसे जिले भी संवेदनशील श्रेणी में आते हैं।
रामगढ़ सबसे कम संवेदनशील
रामगढ़ जिले को जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से सबसे कम प्रभावित होने वाला जिला माना गया है। यहां बीपीएल (Below Poverty Line) की संख्या कम है, और कोयला कंपनियों द्वारा प्रदान की गई स्वास्थ्य और आवासीय सुविधाएं भी बेहतर हैं, जिससे यह जिला अन्य जिलों के मुकाबले अधिक सुरक्षित है।
अध्ययन में सामने आए मुख्य बिंदु
अधिकारियों ने बताया कि इस अध्ययन में विभिन्न कारकों का मूल्यांकन किया गया है, जैसे:
- जलवायु परिवर्तन से बीमारियों की स्थिति
- स्वास्थ्य संसाधनों की उपलब्धता
- वन भूमि की स्थिति
- वर्षा जल की उपलब्धता
- सड़क घनत्व और प्राकृतिक संसाधनों से होने वाली आय
- फसलों की बीमा स्थिति
- महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी
भविष्य के लिए योजनाएँ
झारखंड सरकार ने इस अध्ययन के आधार पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी रणनीति को मजबूत करने का निर्णय लिया है। वन विभाग भी अगले 40 वर्षों के लिए जलवायु प्रक्षेपण तैयार कर रहा है, जिससे झारखंड में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन किया जा सके और भविष्य में उससे निपटने के उपायों पर काम किया जा सके।
यह अध्ययन झारखंड के लिए एक चेतावनी है, और राज्य सरकार के लिए एक अवसर है कि वह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।